भोपाल। गोशालाओं में मृत गोवंशीय पशुओं को खुले में फेंकने की जगह अब उन्हें ‘गो-समाधि’ दी जाएगी। इसके लिए मनरेगा से गो-समाधियां बनवाई जाएंगी। इसमें छह फीट लंबा, चार फीट चौड़ा और इतनी ही ऊंचाई का गड्ढा खोदकर समाधि दी जाएगी।
सबसे पहले गड्ढे के तल में ताजे गोबर की आधी फीट की तह बिछाई जाएगी। इसमें 20 किलो नमक और इतना ही चूना भी डाला जाएगा, जिससे छह माह बाद शव खाद बन जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव ने इस संबंध में सभी जिलों के कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।
पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गोशालाओं में एक वर्ष में 15 प्रतिशत पशुओं की मौत होती है। प्रदेश में 1762 गोशालाओं में दो लाख 87 हजार गोवंशीय पशु हैं।
इस अनुमान से हर वर्ष लगभग 43 हजार 50 पशुओं की मौत होती है। अभी तक शव को खुले में फेंक दिया जाता था, जिससे गंदगी होती थी। कई बार विवाद की स्थिति भी बनती थी। गोशालाओं के आसपास वर्षों तक कंकाल पड़ा रहता था। गोवंशीय पशुओं के शव का सम्मानजनक तरीके से निष्पादन के लिए उन्हें समाधि दी जाएगी।
दिल्ली से लिया सबक
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए लंपी स्किन डिसीज (एलएसडी) से पीड़ित पशुओं के शव का निष्पादन व्यवस्थित तरीके से करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देशित किया था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि समाधि की प्रक्रिया जनभावनओं के अनुरूप होनी चाहिए।
इसके बाद गो-समाधि के लिए दक्षिणी दिल्ली में जगह तय की गई। इसे देखते हुए मध्य प्रदेश में 21 फरवरी 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अध्यक्षता में गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में भी ऐसी व्यवस्था करने को कहा था।
इनका कहना है
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा के अंतर्गत ‘गो-समाधि’ बनाने के लिए सभी जिलों को निर्देशित किया है, जिससे गोवंशीय पशुओं के शवों का व्यवस्थित तरीके से निष्पादन किया जा सके।
– गुलशन बामरा, प्रमुख सचिव, पशुपालन।
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