देवेंद्र तिवारी सांची रायसेन
इन दिनों नगर में बंदरों ने अपने पांव पसार लिए हैं तथा सार्वजनिक स्थानों सहित घरों पर बंदरों की उछलकूद लगी रहती है जिससे घरों में छोटे छोटे बच्चों पर हमले का खतरा मंडराता नजर आता है इस मामले में न तो वनविभाग न ही संबंधित विभाग ही सुध लेने की जहमत उठा पा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार नगर में इन दिनों बंदरों ने अपने पांव पसार लिए हैं राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी आये दिन सड़क पार करते दिखाई देते हैं जबकि बड़ी संख्या में वाहनों की आवाजाही लगी रहती है जिससे दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहता है इसके साथ ही बसस्टेंड परिसर में भी पेड़ों पर बंदरों की उछलकूद जारी रहती है यही हाल रेलवे स्टेशन का भी बना हुआ है रेलवे स्टेशन पर भी बंदरो की धमाचौकड़ी आसानी से दिखाई दे जाती है बावजूद इसके नगर के घरों पर बंदरों की उछलकूद से लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है बंदरों के झुंड के झुंड घरों पर उछल कूद करते दिखाई पड़ जाते हैं लोग बंदरों को भगाने का प्रयास करते दिखाई देते हैं इतना ही नहीं घरों में घुसने का भी भय बना रहता है जिससे घरों में छोटे छोटे बच्चों पर बंदरों के दांत किडकिडाने से भयभीत हो जाते हैं इन बंदरों में अधिकांश मादा भी अपने छोटे छोटे बच्चों को पेट पर लिपटाए उछल कूद करते रहते हैं इतना ही नहीं स्तूप परिसर पर तो जंगल होने के कारण बिना भय के बंदर लोगों के आसपास भी दिखाई दे जाते हैं जिससे कभी कभी पर्यटकों को भी भयभीत होना पड़ता है परन्तु इन बंदरों की असंख्य तादाद तथा धमाचौकड़ी से संबंधित विभाग तो पूरी तरह अनजान बने रहते हैं तथा इन बंदरों से सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं वहीं वनविभाग जिसके अंतर्गत यह जंगली पशु आते हैं इसके जिम्मेदार पूरी तरह लापरवाह बने हुए हैं इस ऐतिहासिक स्थली पर जंगली बंदरों पर लगाम लगाने न तो विभाग का कोई कर्मचारी न ही किसी अधिकारी को ही सुध लेने की फुर्सत मिल पाती है जिससे इन जंगली बंदरों पर अंकुश लगाया जा सके तथा पर्यटक एवं नगर वासियों से इन बंदरों का भय दूर किया जा सके। तथा घरों पर उछल कूद से लोगों को नुक्सान भी उठाना पड़ता है इनपर लगाम लगाने वाले कोई भी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।