खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार कर असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया गया है। अब यहां उससे पूछताछ की जाएगी। अजनाला थाने पर हमले का आरोपित 18 मार्च को जालंधर से फरार हो गया था। इस दौरान वह हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड व पंजाब में छिपता रहा औ आखिरकार रविवार सुबह 37वें दिन पकड़ में आया।
खास बात यह है कि उसे मोगा जिले में पड़ने वाले जरनैल सिह भिडरांवाला के गांव रोडे से पकड़ा गया है। इसी गांव में सितंबर 2022 में उसे वारिस पंजाब दे संगठन का मुखी नियुक्त किया गया था।
अमृतपाल सिंह के शनिवार रात को गांव रोडे के गुरुद्वारा साहिब में छिपे होने की सूचना उसके करीबियों ने ही पुलिस को दी थी। पुलिस को यह भी बताया गया कि अमृतपाल सुबह संगत के गुरुद्वारा पहुंचने के बाद आत्मसमर्पण कर सकता है। इसके बाद पुलिस ने सक्रियता दिखाई और संगत के बीच अमृतपाल के आत्मसमर्पण करने से माहौल बिगड़ने की आशंका को देखते हुए पुलिस उच्चाधिकारियों ने अलसुबह करीब चार बजे ही सादे कपड़ों में पुलिस कर्मचारियों को गरुद्वारा साहिब के पास और गांव के विभिन्न हिस्सों में तैनात कर दिया।
पुलिस ने गुरुद्वारा साहिब की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अमृतपाल को अंदर से गिरफ्तार करने के बजाय बाहर से गिरफ्तार किया। पुलिस की घेराबंदी के कारण अमृतपाल को भी इस बात का एहसास हो गया था कि वह अब भाग नहीं सकता है। इसलिए जैसे ही वह सुबह करीब पौने सात बजे गुरुद्वारा साहिब से बाहर आया तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, मुझे इस अभियान की जानकारी शनिवार रात को ही मिल गई थी। मैं पूरी रात सोया नहीं। डीजीपी गौरव यादव से पल-पल की जानकारी लेता रहा। पूरे अभियान में हमने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचने दिया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब व गुरुद्वारा साहिब की मर्यादा का भी पूरा ख्याल रखा।
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