सुनील सोन्हिया की रिपोर्ट
भोपाल। नवरात्रि की चतुर्थी को माँ दुर्गा के चौथे अवतार देवी कूष्माण्डा की पूजा होती है। माँ के भक्तों द्वारा विशेष भोग में हलवा या मालपुए एवं नाशपाती के फल अर्पण किया जाता है।
समस्त रूपों की तरह ये अवतार भी अति मनमोहक और सभी सुख प्रदान करने वाला है।जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
शब्द कूष्माण्डा का संधि विच्छेद कुछ इस प्रकार है के कुसुम का अर्थ है फूलों के समान हंसी (मुस्कान) और आण्ड कर का अर्थ है ब्रहमाण्ड अर्थात वो देवी जो जिन्होंने अपनी मंद (फूलों) सी मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है वही मां कूष्माण्डा है।माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।
खुद भूखा रहकर किसी को खिलाकर तो देखिए,कुछ यूं इंसानियत का फ़र्ज निभाकर तो देखिए।
ये कहना है युवा क्रांति रोटी संस्थान की अध्यक्ष समाजसेवी रिंकू ओझा का,जिन्होने
चैत्र नवरात्रि पर्व के शुभ अवसर पर युवा क्रांति रोटी बैंक संस्थान भोपाल द्वारा काली मंदिर कालीघाट पर जरूरतमंदों व्यक्तियों एवं माताओं बच्चों सभी को निःशुल्क भोजन का वितरण किया।