रंग पंचमी राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है. होली से शुरू होने वाले रंगों के त्योहार का आखिरी दिन होता है रंग पंचमी. धार्मिक मान्यता है कि हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी पर देवतागण पृथ्वी पर होली खेलने आते हैं, इसलिए इसे रंग पंचमी कहा जाता है.इस तिथि पर अबीर-गुलाल,हल्दी और चंदन के साथ ही फूलों से बने रंग आसमान में उड़ाने की परंपरा है. कहते हैं।
इससे सभी देवी-देवता बहुत ही प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. इस दिन देवताओं के साथ होली खेलने का समय सुबह 09.38 – दोपहर 12.37 तक हैशास्त्रों के अनुसार रंग पंचमी दैवीय शक्ति का प्रभाव तेज होता है, इसलिए आसमान में अलग-अलग रंग उड़ाए जाते हैं. वातारवरण में इक्टठा हुए शक्ति के कण नकारात्मक शक्ति से लड़ते हैं. इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.रंग पंचमी पर मां लक्ष्मी को गुलाबी रंग का गुलाल अर्पित करें और फिर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. कहते हैं इससे देवी लक्ष्मी घर में वास करती हैं और धन की कमी दूर होती है.
रंग पंचमी पर राधा-कृष्ण को पीला रंग अर्पित करें. कहते हैं इससे वैवाहिक जीवन में जीवन में तनाव खत्म होता है. मनचाहा जीवनसाथी पाने की इच्छा पूरी होती है।
शादीशुदा महिलाओं को रंग पंचमी के दिन माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से पति पर आने वाली सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं और सौभाग्य बना रहता है.