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करहोद वन क्षेत्र में न वन विभाग का ध्यान और न ही माइनिंग विभाग ,पुरातत्व विभाग , न जिला प्रशासन का….

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सदियों पुरानी निशानी को बारूद से तहस-नहस कर रहा खनन मफिया

शिवलाल यादव रायसेन

रायसेनजिले में सक्रिय पत्थर माफिया गिरोह की नजर वर्तमान में तहसील रायसेन के पूर्वी वनक्षेत्र करहोद पहाड़ी, याकूबपुर में अवैध ब्लास्टिंग कर बोल्डर पत्थर कोपरा उत्खनन धड़ल्ले से कर रहे हैं।करहोद ,याकूबपुर की गोल पहाड़ियों पर प्राचीन बौद्ध स्तूप स्मारक, विष्णु मंदिर अन्य सालों पुरानी धरोहरों को भारी नुकसान हुआ है।वहीं जिला प्रशासन से लेकर वन महकमे पुरातत्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस अवैध खनन को लेकर खामोश बने हुए हैं।करहोद की पहाड़ी की तलहटी में लगा खनन से निकले पत्थरों का ढेर।अवैध पत्थर उत्खनन की कहानी बयां कर रहा है।इसमें माइनिंग और वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के पत्थर माफियाओं से याराना संबंध भी जगजाहिर है।
करहोद याकूबपुर की प्रसिद्ध पहाड़ी तक पहुंच गया अवैध उत्खनन का कारोबार। चंद सालों में यह पहाड़ी भी नहीं बचेगी। तलहटी में लगे टुकड़ों के ढेर।

योजना बनते ही पहुंच जाती है खबर….
अवैध पत्थर बोल्डर खनन माफिया के दलाल वन विभाग, प्रशासन और खनिज सभी विभागों में भी मौजूद हैं। जिस विभाग और अधिकारी के दफ्तर से जिस दिन कार्रवाई की योजना बनती है। उसी दिन तत्काल खबर इन माफियाओं के पास पहुंच जाती है और उस दिन खदानों में गोरखधंधे का अवकाश कर दिया जाता है ।जिससे मौके पर पहुंचने वाली टीम खाली हाथ लौट आती है।भले ही चाहे ववन क्षेत्र होने के कारण खनिज विभाग का वहां दखल नहीं है। लेकिन वहां से अवैध से बाहर निकलने वाले पत्थर और उसके अवैध परिवहन पर खनिज विभाग कार्रवाई कर सकता है। लेकिन सामान्यत: यह कार्रवाई भी नहीं होती। जिला खनिज अधिकारी आरके कैथल कहते हैं कि ये अवैध खनन चूंकि वन भूमि पर हो रहा है।इसलिए हमारा वहां दखल संभव नहीं है। टास्क फोर्स की बैठक के बाद हम लोग वहां गए थे, लेकिन कोई नहीं मिला,।वहां खनन बंद कर दिया गया था। अवैध परिवहन का सवाल है तो जब कोई वाहन अवैध परिवहन करते मिलता है तो कार्रवाई की जाती है।

जिला वनमंडलाधिकारी विजय कुमार कहते हैं कि यहां के हालात वर्षों से बहुत बिगड़े हुए हैं। वन विभाग अकेले काबू नहीं कर सकता। इसीलिए टास्क फोर्स की बैठक में पुलिस, खनिज विभाग और प्रशासन से भी सहायता मांगी थी। टीम मौके पर भी पहुंची थी लेकिन उस समय वहां कोई मिला नहीं। करहोद पुरातत्व की नगरी है इसलिए ब्लास्टिंग से यहां के स्मारकों को भी काफी खतरा है। पहाड़ो की ब्लास्टिंग के लिए बारूद का इस्तेमाल होता है।इसे ही तलाश कर जब्त किया जाना चाहिए। हमारे पास स्टाफ सीमित है। हमने पांच लोगों कीड्यूटी वहां लगाई है।

पूर्वी वनरेंज रायसेन के करहोद याकूबपुर कान पोहरा वन क्षेत्र के करीब चार सौ हैक्टेयर क्षेत्र में वर्षों से एक ही रसूखदार पत्थर माफिया का डेरा है। यहां पहाड़ों को नष्ट कर पत्थर से पैसा बनाने की होड़ मची है। इस होड़ में सब शामिल हैं, नेता, अधिकारी, समाजसेवी, व्यापारी, पत्रकार और ऐसे तमाम सफेदपोश। ये पत्थर माफिया धीरे-धीरे करहोद क्षेत्र की सदियों पुरानी पहाड़ियों की निशानी को भी बारूद के जरिए उड़ाकर पत्थर निकालने का खेल खेलते हुए इन निशानियों को मिटाने पर उतारू हैं। लेकिन मजाल है कि वन विभाग, प्रशासन का कोई नुमाइंदा उनसे कुछ कह सके। हर माह करोड़ों रुपए का पत्थर यहां से निकलकर बाहर जा रहा है। आने वाले दिनों में यहां की वे पहाड़ियां भी पत्थर निकालने के लिए किए जा रहे ब्लास्ट में गायब हो जाएंगी जो आज भी मीलों दूर से रायसेन की पहचान मानी जाती हैं।

करहोद की पहाड़ी तक पहुंचा माफिया….
पत्थर बोल्डरों का अब खनन का ये काला कारोबार भगवान विष्णु की प्रतिमा सहित बौद्ध स्तूपों औरक्षेत्र की पहाड़ी के बीच वाले हिस्से में भी पहुंच चुका है और गोल पहाड़ी के नजदीक ब्लास्ट के जरिए पत्थर निकाला जा रहा है। भगवान विष्णु की प्रतिमा के नजदीक खड़े होकर या विदिशा जाने वाले के रास्ते से ही देखेंगे तो पहाड़ी के एक किनारे खनन से निकले पत्थरों के टुकड़ों का ढेर दिखाई देगा जो इस बात का प्रमाण है कि अब पत्थर माफिया इस प्राचीन और करहोद की पहचान वाली गोल पहाड़ी के नजदीक भी पहुंच चुका है।
80 से ज्यादा अवैध खदानों का गोरखधंधा….
सामान्य वन मण्डल सर्किल रायसेन के पूर्वी वनक्षेत्र करहोद याकूबपुर मुरेलकला, पाली संग्रामपुर कान पोहरा, हक़ीमखेड़ी तौर अंधेर अंडों ल डंडेरा यह पूरा क्षेत्र जहां सालों से संचालित वैध अवैध खदानों पर पत्थर खनन का कारोबार बेख़ौफ़ चल रहा है। वह वन क्षेत्र में समाहित है। यह क्षेत्र करीब चार सौ हेक्टेयर का है। यहां दो-चार नहीं, 80 से ज्यादा अवैध खदाने चल रही हैं। यहां पेड़ नहीं पत्थरों के ढेर मिलेंगे। खेत नहीं पत्थर निकालने से बनी खंतियां मिलेंगी। यहां कोई भी वैध खदान नहीं है,।लेकिन रोजाना लाखों रुपए के पत्थर का कारोबार होता है। पत्थर माफिया ने इन खदानों तक पहुंचने के लिए ऐसे रास्ते बना रखे हैं जहां केवल ट्रक, डम्पर, जेसीबी और हुनरमंदों की बाइक ही दौड़ सकती हैं।

चप्पे-चप्पे पर पत्थर माफियाओं के गुर्गों की नजर….
संग्रामपुर हक़ीमखेड़ी कान पोहरा आदि के अवैध खनन क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर खनन माफिया के गुर्गों की नजर है। कोई पहाड़ी पर तो कोई छोटी टपरिया सी बनाकर दूर से ही आने-जाने वालों पर नजर रखकर तत्काल मोबाइल से या आवाज लगाकर खतरे का संकेत देता है और फिर चंद पलों में ही अवैध पत्थर बोल्डरों के खनन का कारोबार थम जाता है और खनन कर रहे मजदूर और पत्थरमाफिया के गुर्गे यहां वहां होकर उस आने वाले व्यक्ति की जांचपड़ताल में लग जाते हैं कि कौन है, क्यों आया है, कहां-कहां गया था और उसका मकसद क्या है।

बंधे जिला प्रशासन के हाथ….
हालांकि ऐसा नहीं है कि इन अवैध खदानों के गोरखधंधे पर प्रशासन ने कभी कार्रवाई करने की तैयारी नहीं करी हो। कार्रवाई करके वाहनों की धरपकड़ भी की है। लेकिन जब भी ऐसा होता है तो अधिकारियों के पास क्षेत्र के प्रभावी नेताओं मंत्री के फोन घनघनाने लगते हैं और मजबूरी में अफसरों को अपने कदम पीछे खींचने पड़ते हैं।

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