साँची रायसेन से देवेंद्र तिवारी
विकास निर्माणों को लेकर सरकार कितनी भी गुणवत्ता की बड़ी बड़ी बाते कर ले परन्तु जब निर्माणाधीन विकास की गुणवत्ता को दरकिनार कर दिया जाता है तब न तो संबंधित ही ध्यान दें पाते हैं न ही प्रशासन की नजर ही पहुंच पाती है जिससे सरकार की राशि बंदरबांट होकर रह जाती है ऐसा ही मामला नगर में निर्माणाधीन रैन-बसेरा की गुणवत्ता को धता दिखाकर चल रहा है ।
वैसे तो यह नगर एक विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर के रूप में विख्यात है इस स्थल के अनुरूप यहां सरकार द्वारा सुविधा व विकास कार्य करने का बीड़ा उठा कर लाखों रुपए आवंटित कर देती है परन्तु इस स्थल के अनुरूप इस नगर को ढालने पर सरकार की मंशा पर तो पानी फिर ही जाता है बल्कि सरकारी राशि भी बंदरबांट की भेंट चढ़ कर रह जाती है जिसका खामियाजा नगर वासियों को विकास के नाम पर घटिया निर्माण ही हाथ पड़ते हैं ऐसा ही मामला तब सामने आया जब नगर के बस स्टैंड परिसर में निर्माणाधीन रैन-बसेरा जिसमें लगभग शासन की तीस से पैंतीस लाख रुपए की राशि खर्च होगी परन्तु इस रैन-बसेरा निर्माण को देखने की फुर्सत जिम्मेदारों को नहीं मिल पा रही है जिसमें निर्माण करने वाले ठेकेदार द्वारा कालम खड़े करने को लेकर गढ्ढे तो खोद डाले तथा उसके तल में 40 एम एम गिट्टी जो रेत सीमेंट के साथ मिक्स की जाकर डाली जानी थी उसके स्थान पर गड्ढों में काली गिट्टी की डस्ट डालकर काम चलाया जा रहा है इतना ही नहीं निर्माण स्थल पर न तो ठेकेदार ने ही ठेकेदार का कोई आदमी ही यहां पर मौजूद है जिससे गड्ढों में गिट्टी के नाम पर डाली गई डस्ट भी सूखी पड़ी दिखाई दे रही है न ही यहां कोई तराई की ही व्यवस्था है माना जाता है जब नींव कमजोर रहती है तब किले ढह जाते हैं । इस निर्माण में खुलेआम घटिया निर्माण सामग्री का तो उपयोग किया ही जा रहा है बल्कि निर्माण भी घटिया ज़ारी है कहने को तो यह रैन-बसेरा निर्मित किया जा रहा है इसमें आवश्यकता पड़ने पर ठहरने वालों को सुविधा उपलब्ध होगी परन्तु इस रैन-बसेरा में ठहरने वालों की जान जोखिम में डालकर गुणवत्ता को धता दिखाकर निर्माण जारी है इस निर्माण को उपयंत्री की अनुपस्थिति में चलाया जा रहा है न ही नगर परिषद का कोई जिम्मेदार ही इस निर्माण की सुध ले पा रहा है हालांकि रैन-बसेरा गुणवत्ता विहीन निर्माण पर यहां लोग भी संदेह व्यक्त कर रहे हैं फिर भी नप प्रशासन को इस निर्माण को देखने की फुर्सत नहीं मिल पा रही हैं इतना ही नहीं कालम के गड्ढों में सूखी डस्ट का उपयोग खुलेआम दिखाई दे रहा है जिससे न केवल यह निर्माण गुणवत्ता को धता दिखाकर चलाया जा रहा है बल्कि शासन की लाखों रुपए की राशि में बंदरबांट की योजना बन चुकी है हालांकि नगरीय प्रशासन विभाग के निर्माण भगवान भरोसे ही चल रहे हैं इन्हें देखने व गुणवत्ता जांच करने की किसी को फुर्सत नहीं दिखाई दे रही है हालांकि सांची नगर परिषद के अंतर्गत किये जानें वाले निर्माण नगर में चर्चित तो रहते ही हैं बल्कि निर्माण के नाम पर शासन की राशि के बंदरबांट के मामले अनेक बार उजागर भी हो चुके है बावजूद इसके इस विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल के गुणवत्ता विहीन निर्माण नगर में चर्चित हो चले हैं बेधड़क ऐसे घटिया निर्माण अपनी गुणवत्ता की कहानी स्वयं बयां कर रहे हैं इस मामले में अचल शिवहरे उपयंत्री नप सांची का कहना है कि हमने अभी देखा नहीं है कालम के गढ्ढे अधिक खुद गये थे इसलिए उसमें डस्ट डालकर लेवल किया गया है हम कल आकर देखेंगे यदि घटिया निर्माण किया जा रहा है तो हम ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे तथा निर्माण घटिया नहीं होने दिया जाएगा ।
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