DGP की पहल पर सभी जिलों, वाहिनी मुख्यालयों सहित समस्त पुलिस इकाइयों में किया गया सीपीआर प्रशिक्षण का आयोजन
मध्यप्रदेश पुलिस के लिए पहली बार व्यापक स्तर पर हुआ सीपीआर प्रशिक्षण
देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल
मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग द्वारा नवाचार करते हुए शनिवार को सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पहली बार व्यापक स्तर पर सीपीआर प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रदेश के सभी जिलों और वाहिनी मुख्यालयों सहित समस्त पुलिस इकाइयों में यह आयोजन किया गया। भोपाल में नेहरू नगर स्थित पुलिस लाइन परिसर में आयोजित सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम में पुलिसकर्मियों के प्रोत्साहन के लिए पुलिस महानिदेशक उपस्थित रहे और उन्होंने भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रदेश के सभी आईजी, डीआईजी, पुलिस अधीक्षक, कमांडेंट व अन्य अधिकारी भी प्रशिक्षण में उपस्थित रहे।
इस आयोजन के लिए एक सप्ताह पूर्व से प्रदेशभर के सभी जिलों और वाहिनी मुख्यालयों में पुलिस अधीक्षकों और कमांडेंट द्वारा व्यापक स्तर पर तैयारियां प्रारंभ कर दी गई थी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, रेडक्रॉस और निजी चिकित्सालयों के चिकित्सकों से समन्वय स्थापित किया गया साथ ही पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके परिवारजनों को सीपीआर की उपयोगिता से अवगत करवाकर इस प्रशिक्षण में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया गया।
उपस्थित पुलिसकर्मियों और उनके परिवारजन को सीपीआर के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया और सीपीआर की प्रक्रिया डमी के माध्यम से समझाई गई। इसके पश्चात एक्सपर्टस ने सभी जिलों और वाहिनी मुख्यालयों में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सावधानीपूर्वक सीपीआर देने का प्रशिक्षण दिया। प्रदेश भर के 250 से अधिक स्थानों पर आयोजित इस सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम में 22000 से अधिक पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने सहभागिता की।
भोपाल में आयोजित सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम में डीजीपी ने प्रथम प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण लिया। कार्यक्रम के दौरान रक्षित निरीक्षक दीपक पाटिल को सीपीआर देकर जीवन रक्षा करने वाले और दो पुलिस आरक्षको को डीजीपी सक्सेना द्वारा प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए गए।
सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) एक बहुत महत्वपूर्ण प्रारंभिक उपचार प्रक्रिया है, जो किसी भी घटना/दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति को राहत पहुंचाने अथवा अमूल्य जीवन को बचाने में सहायक सिद्ध हो सकती है। सीपीआर वह प्रक्रिया है, जिसे हृदय गति रुक जाने पर अपनाया जाता है। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचती है, जिससे हृदय गति पुन: शुरू हो सकती है। सीपीआर के प्रयोग से हार्ट अटैक आने पर, हाइपोवॉल्मिक शॉक होने पर, बेहोश होने पर या बिजली का झटका लगने पर या कमजोर दिल वाले व्यक्ति को बचाया जा सकता है। सीपीआर से समय रहते पीड़ित व्यक्ति की सहायता कर उनका जीवन बचाया जा सकेगा।
नेहरू नगर स्थित पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा कि किसी भी सार्वजनिक आयोजनों या घटना-दुर्घटना के समय पुलिस बल के अधिकारी और कर्मचारी ही जीवन रक्षक के रूप में वहां सर्वप्रथम उपस्थित रहते हैं। सीपीआर जैसी महत्वपूर्ण प्रारंभिक प्रक्रिया का प्रशिक्षण प्राप्त करने पर आप पीड़ित व्यक्ति की तुरंत सहायता कर सकते हैं। मरीज को अगर गोल्डन टाइम में सीपीआर मिल जाए तो निश्चित ही उसकी जान बचाई जा सकती है। सीपीआर का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पुलिसकर्मियों और समाजजनों के हित में किया जा रहा एक मानवीय प्रयास है। आमजन के लिए भी इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाते रहना चाहिए ताकि सभी लोग स्वास्थ्य रक्षा के प्रति सजग और जागरूक हो सकें।