माघ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. देवी मां दुर्गा के 10 सूक्ष्म स्वरूप दस महाविद्याओं की आराधना के दिन बहुत खास होते हैं.
माता की कृपा से सुख-समृद्धि में भी वृद्धि होती है. गुप्त नवरात्रि का अनुष्ठान विशेष तौर पर तांत्रिक भी करते हैं क्योंकि यह समय तंत्र साधना को सिद्ध करने का भी होता है. इस दौरान गृहस्थ लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ करके देवी को प्रसन्न कर सकते हैं.
ऐसे करें सप्तशती का पाठ
1. दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
2. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सबसे पहले स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए.
3. बैठने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए, अगर आपके पास कुशा का आसन नहीं है तो ऊन के बने हुए आसन का प्रयोग कर सकते हैं.
4. पाठ शुरू करने से पहले गणेश जी एवं सभी देवगणों को प्रणाम करें. माथे पर चंदन या रोली का तिलक लगाएं.
5. लाल पुष्प, अक्षत एवं जल मां को अर्पित करते हुए पाठ का संकल्प लें.
6. इसके बाद पाठ को आरंभ करने से पहले उत्कीलन मंत्र का जाप करें. इस मंत्र को आरंभ और अंत में 21 बार जप करना चाहिए.
7. इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करते हुए पाठ का आरंभ करें. इस तरह से मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
जलाएं सरसों के तेल का दीपक
गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं. मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है. इसके बाद मां के चरणों में पानी वाला नारियल, केले, सेब, खील, बताशे और श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है. मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है. सरसों के तेल से दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए.