राष्ट्रीय एनपीएस संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि केंद्र ने पीएफआरडीए एक्ट 20 13 बनाने के बाद भी भारत की सेना एयरफोर्स वायु सेना न्यायपालिका को एनपीएस के दायरे में नहीं लिया है। अब उच्च न्यायालय के फैसले के बाद सीमा सुरक्षा बल के जवान भी एनपीएस के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना का लाभ प्राप्त करेंगे। जब भारत सरकार ने एक्ट लागू किया था तो सभी कर्मचारियों को एक्ट के दायरे में आना था। इसका साफ आशय है कि केंद्र सरकार ने ओ पी एस के स्थान पर एनपीएस को लागू करते समय दोहरे मापदंड अपनाए और अपनी गलत नीतियों का विरोध सेना और न्यायपालिका में ना हो इसलिए उन्हें एनपीएस के दायरे से बाहर रखा। इस दोहरे मापदंड का खुलासा होने से प्रदेश और देश के लाखों लाख कर्मचारियों में केंद्र सरकार के खिलाफ भयंकर असंतोष व्याप्त है। केंद्र सरकार देश के केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों से एनपीएस कटौती बंद करके उनके जीपीएफ खाता खोलने के निर्देश देते हुए पुरानी पेंशन योजना का लाभ पीएफआरडीए एक्ट 2013 को समाप्त करके देने का आदेश जारी करें। अन्यथा भारत का केंद्रीय एवं राज्य कर्मचारी राष्ट्रीय एनपीएस संघ के माध्यम से कर्मचारी मत का संग्रह करके कर्मचारी विरोधी दोहरी नीतियों के विरोध में जनता को भी साथ में लेकर जन आंदोलन प्रारंभ करेगा केंद्र और राज्य सरकार ने देश और राज्य कर्मचारियों का भविष्य एनपीएस के माध्यम से निजी हाथों में सौंप दिया है। एनपीएस के नाम पर कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह का काटी जाने वाली करोड़ों की राशि केंद्र सरकार सट्टा बाजार में लगा रही है। एनएसडीएल कंपनी कर्मचारियों के जमा करोड़ों रुपए में बडा भ्रष्टाचार कर रही है लेकिन केंद्र सरकार एनपीएस योजना को बंद नहीं कर रही जिसके विरोध में भारत के हर राज्य में आंदोलन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में भी 3 वर्ष  से क्रमवार आंदोलन जारी है और भोपाल में अगले माह राष्ट्रीय एनपीएस संघ बड़ा कर्मचारी जनआंदोलन करेगा।