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रायसेन बाल शिशु गृह में धर्म बदलने का मामला::तीन साल भटका बच्चो का पिता,फिर कह दिया बच्चे नही मिल पाएंगे

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जबाबदारो पर भी हो जबाबदेही तय

-नोडल संस्था पर खड़े हुए कई सबाल

दीपक कांकर

रायसेन जिले के गौहरगंज के बाल शिशु गृह में तीन बच्चों का धर्म बदलने और उनके आधार कार्ड में मुस्लिम नाम रखने के मामले में रोज सनसनीखेज बाते सामने आ रही है। बच्चो के पिता का साफ कहना है कि वह भोपाल से रायसेन और गौहरगंज तीन साल भटका लेकिन किसी ने भी उसे न तो बच्चो से मिलने दिया और न ही उनका सही पता बताया। रायसेन से तो यहां तक कह दिया गया कि बच्चे तुम्हे नही मिल पाएंगे। ऐसे में सबाल यह उठता है कि बच्चो का पिता जब अपने बच्चो से मिलने भटकता रहा फिर उससे बच्चो को क्यों नही मिलवाया गया। इन संस्थाओं की जोडल संस्था महिला एवं बाल विकास विभाग है।इस सब मामले में गौहरगंज में बैठे महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी और रायसेन में बैठे विभाग के आला अफसर क्या करते रहे। इस मामले में बाल कल्याण समिति की भूमिका भी सही जान नही पड़ती है।

कौन है वो क्रिश्चियन महिला जिसने कहा अब बच्चे नही मिलेंगे

बच्चो के पिता हरपाल सिंह 14 नवम्बर को रायसेन पहुँचे।उन्होंने पत्रकारों को बताया कि उनकी पत्नी मानसिक रोगी है इस कारण वह दमोह के अपने गांव से भोपाल आ गई थी। भोपाल में उन बच्चो को cwc में भिजवाया गया।जहां से उन्हें गोहरगंज भेजा गया। बच्चो का पिता हरपालसिंह जब भोपाल पहुंचा तो उसे बताया गया बच्चे रायसेन में है। रायसेन cwc आने पर वहां उसे एक क्रिश्चियन महिला से मिलवाया गया। यह महिला हरपालसिंह को रायसेन से भोपाल ले गई कुछ कागजो पर हस्ताक्षर भी कराये और 10 दिन बाद आने का बोला। जब दस दिन बाद हरपालसिंह रायसेन आया तो उक्त क्रिश्चियन महिला ने उससे साफ कह दिया कि अब तुम्हे बच्चे नही मिलेंगे।
सबाल या उठता है कि वह क्रिश्चियन महिला कौन है क्या CWC से सम्बंधित है या महिला बाल विकास विभाग की यह हरपालसिंह भी नही जानता। महिला ने केस आधार के किस कारण हरपालसिंह को मना कर दिया कि उसके बच्चे अब नही मिलेंगे।क्या इस बात का कभी खुलासा हो पायेगा की वह क्रिश्चियन महिला कौन थी उससे CWC आफिस में किसने हरपालसिंह से मिलवाया और वह किस हैसियत से हरपालसिंह को लेकर भोपाल गई।

सबाल यह भी है कि तीन साल तक हरपालसिंह अपने बच्चोंसे मिलने भोपाल रायसेन गोहरगंज के चक्कर लगाता रहा फिर यह जिम्मेदार संस्थाएं जोडल आफिस गौहरगंज के परियोजना अधिकारी क्या करते रहे।हरपालसिंह को उसके बच्चो से मिलवाने के किये जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारी से पीछे क्यो हट गये उनमें इन जिम्मेदारों का क्या इंटरेस्ट था यह भी जांच का विषय है।

नाम कैसे बदले

भोपाल में जब यह बच्चे लाबारिस मिले तब किस व्यक्ति ने चाइल्ड लाइन को सूचित किया। चाइल्ड लाइन ने किस आधार पर बच्चो को मुस्लिम नाम से CWC(बाल कल्याण समिति)भोपाल के नाम सुपुर्द किया ।किस आधार के भोपाल CWC ने बच्चो को भोपाल की किसी संस्था में मुस्लिम नाम से ही क्यों भेजा।क्या CWC की यह जबाबदारी नही थी कि वह बच्चो की ज़ही पहचान करें।फिर किस आधार पर या किस जानकारी के उसने बच्चो को रायसेन CWC भेजा।गौहरगंज में शिशु बाल गृह ने किस आधार या किसके आदेश पर बच्चो के नाम बदले और शिशु बाल गृह के संचालक ने किस कारण आधार कार्ड बनबाये और सरक्षण में अपना नाम दिया।

राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष ने महिला बाल विकास विभाग की भूमिका पर ही सबाल खड़े किए

राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक  कानूनगो ने पिछले दिनों  दमोह में किए निरीक्षण के दौरान महिला बाल विकास विभाग की भूमिका पर भी बड़े सवाल खड़े किए हैं बाल संरक्षण से जुड़ी संस्थाएं किस तरह इस बैनर का दुरुपयोग कर रही है यह भी जांच का विषय है।

लाखो रुपए दिये जाते है इन संस्थाओं को

गौहरगंज जैसी बाल शिशु संस्थाओं को लाबारिस मिले बच्चो की देखभाल के किये लाखो रुपए का अनुदान दिया जाता है। बताया कि रहा है कि एक बच्चे की देखरेख के लिए इन संस्थाओं को लाखो रुपए प्रतिमाह दी जाती है। संस्थाएं इस राशि को प्राप्त करने के लिये सारे जतन लगाती है वही महिला एवं बाल विकास एक निर्धारित कमीशन लेकर यह राशि रिलीज करता रहता है। राशि देने के बाद इसलिए इस राशि के उपयोग का निरीक्षण नही हो पाता क्योंकि इसके लिए अधिकारी एक मोटी रकम कमीशन के तौर पर ले चुके होते है।
बताया जा रहा है कि गौहरगंज स्थित शिशु बाल गृह में पांच बच्चे रहते है। इनकी देखभालनके लिए संस्था को एक निर्धारित रकम महिला एवं बाल विकास विभाग बगैर नागा किये देता रहा है। लेकिन किसी भी अधिकारी ने यह नही देखा कि बच्चे केसे रह रहे है।उनकी देखभाल ठीक हो रही है या नही।सूत्रों के अनुसार गौहरगंज स्थित शिशु बाल गृह में 16 कर्मचारियो की तैनाती कागजो में है। लेकिन जब रायसेन CWC के अध्यक्ष ने वहां पाया कि 3 कर्मचारी ही वहां मौजूद थे।3 से 6 साल तक के बच्चे अपनी नित्य क्रिया के अलावा दिन भर की दिनचर्या बगैर किसी सहयोग के नही कर सकता फिर आप ही समझ सकते है कि शिशु गृह में बच्चे अपने दिन कैसे काट रहे होंगे।

कहा है निरीक्षण पंजी

इन संस्थाओं की निगरानी का सबसे बड़ा जिम्मा महिला एवं बाल विकास विभाग का है क्योंकि वह इन संस्थाओं की नोडल संस्था है। ऐसे में अधिकारियो को अधिकतम 3 माह में एक बार निरीक्षण करने के निर्देश है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अलावा 16 एक्सी एजेंसियां भी निरीक्षण के लिए अधिकृत है।साथ ही बाल कल्याण समिति को भी समय समय पर इन संस्थाओं के निरीक्षण करने का जिम्मा है। ऐसे में पिछले तीन वर्षों की ही हम बात करे तो नोडल विभाग और अधिकृत एजेंसियो और बाल कल्याण समिति ने कितनी बार गौहरगंज जाकर निरीक्षण किया यह जांच का विषय है।जब कोई अधिकारी किसी भी संस्था का निरीक्षण करने जाता है तो वह वहां आवश्यक रूप दे मौजूद निरीक्षण पंजी में वह सब दर्ज करता है जो उसने निरीक्षण के दौरान देखा। लेकिन निरीक्षण भी सिर्फ औपचारिक हो गए है।अब जिम्मेदार अधिकारियों का यह भी जांच का विषय है कि वह निरीक्षण पंजी की जांच करे।और निरीक्षण पंजी और वास्तविक हालातो की जांच करे।

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