दमोह से धीरज जॉनसन
दमोह जिले के दूरस्थ ग्रामों में आज भी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता के प्रमाण उपलब्ध है जहां सम्मान और श्रद्धा,आस्था बरकरार है। जिले के ग्राम धरीमाल में प्राचीन नक्काशीदार मूर्तिया, कलाकृति दिखाई देती है तो पहले के समय तेल निकालने की विधि कोल्हू के कुछ अंश दिखाई देते है।
प्राचीन काल में तेल निकालने के लिए एक विशेष प्रकार के पत्थर का उपयोग किया जाता था जो अब प्रायः विलुप्त हो गया है, इस पत्थर में खोखला स्थान भी रहता था और नीचे की तरफ नाली होती थी जिससे तेल निकाल कर बर्तन में गिरता था,पत्थर के मध्य में लकड़ी का ऊंचा और मोटा भाग रहता था जो बैलों के चक्कर काटने पर घूमता था जिस कारण पत्थर के बीच में डाली गई सामग्री पर दाब पड़ता था।यह एक परिश्रम भरा काम भी था।
जिला मुख्यालय से करीब 75 किमी दूर तेंदूखेड़ा तहसील के ग्राम धरीमाल में भी कोल्हू का कुछ हिस्सा दिखाई देता है,जिसमें कुछ लिपिबद्ध भी है।स्थानीय निवासी अरविंद यादव ने बताया कि यहां पर कई वर्षों से यह रखा हुआ है काफी लोगों से इसकी जानकारी भी ली। राकेश यादव, सुरेंद्र एवं गांव के पूर्व सरपंच बाबूलाल ने बताया कि पुराने जमाने में तेल निकालने के काम आता था जैसे महुआ का बीज गुली का तेल निकालते थे और घरेलू काम में लेते थे यह उस वक्त चलन में था जब अन्य कोई साधन-संसाधन नहीं थे।
न्यूज स्रोत:धीरज जॉनसन