प्राणीमात्र के जीवन का आधार वायु ही है: न्यायमूर्ति श्री जैन
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल हुये
धीरज जॉनसन की रिपोर्ट
उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली के माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री जेके माहेश्वरी ने कहा है कि पर्यावरण प्रदूषण हम सबके जीवन को सामान्यतः प्रभावित करता है। परंतु वायु प्रदूषण,पर्यावरण प्रदूषण का एक ऐसा अंग है, जो वास्तव में मनुष्य की जीवन प्रणाली पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि शुद्ध वायु के लिये हम हर साल अपने जन्मदिन पर पांच-पांच पौधे लगायें और उनका पर्याप्त संरक्षण व संवर्धन भी करें। न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी 11 सितम्बर को आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में वायु प्रदूषण रोकने के लिए मप्र मानव अधिकार आयोग के अधिकारियों व विशेषज्ञों के आलेखों की *“शुद्ध वायु का अधिकार-मानव अधिकार”* पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने की। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी ने कहा कि ‘‘क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा, इन पंचतत्वों का संरक्षण’’ हमारे मानव अधिकारों में भी शामिल किया जाना चाहिये, क्योंकि मानव के अस्तित्व के लिये यह अत्यंत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि हम सब ने जो प्रकृति से लिया है, उसे लौटाने की प्रवृत्ति होनी चाहिये। उन्होंने बताया कि पृथ्वी का संवर्धन करना है तो हमें जंगल बचाने होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि उच्चतम न्यायालय ने पृथ्वी के अधिकार को भी मानव अधिकार घोषित कर दिया है। इसलिये पृथ्वी का संरक्षण हम सबको मिलकर करना है। यदि हम एक पेड़ काटें, तो उसके दस गुना पौधे लगायें। उन्होने कहा कि कोरोना महामारी के उपरांत, शुद्ध वायु के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
हाल ही में अमेरिका के ‘हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट’ की रिपोर्ट ने यह दर्शाया है कि वर्ष 2019 में, दिल्ली ने 110 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वार्षिक औसत पी.एम. 2.5 सांद्रता दर्ज की, जो दुनिया के अधिक आबादी वाले शहरों में सबसे ज्यादा है। इसके बाद, कोलकाता का स्थान है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय, नेशनल ग्रीन न्यायाधिकरण और अन्य गैर सरकारी संगठनों की निरंतर कोशिशों के बाद भी वायु प्रदूषण को प्रभावपूर्ण तरीके से नियंत्रित करने में हम सभी सामाजिक तौर से पीछे रहे हैं। ऐसे हालातों में, मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा शुद्ध वायु के अधिकार-मानव अधिकार विषय पर संगोष्ठी का आयोजन एवं पुस्तिका का प्रकाशन करने की पहल निःसंदेह बहुत ही सार्थक है, सराहनीय है, अनुकरणीय है। उन्होंने सभी को मप्र मानव अधिकार आयोग के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं भी दी।
*अध्यक्षयीय उद्बोधन में* मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने कहा कि शुद्ध वायु के अनेकों लाभ हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा कि एक शोध के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण भारतीयों की उम्र नौ साल तक घट सकती है। इसका सबसे बुरा असर उत्तर भारत के लोगों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्राणीमात्र के जीवन का आधार सिर्फ और सिर्फ वायु ही है। एक हालिया रिसर्च में यह दावा किया है कि वायु प्रदूषण बीमार करने के साथ-साथ इंसान की उम्र भी घटा रहा है। इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो भारत के दूसरे हिस्सों में भी वायु प्रदूषण का बेहद बुरा असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि जून 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्टाॅकहोम में हुई सामान्य सभा में प्रस्ताव क्र. 2398 पारित कर सभी सदस्य देशों को अपने प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने को कहा गया। तब भारतीय संसद ने जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तत्पश्चात् वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 पारित किया, जिसमें धारा 2 (अ) में वायु प्रदूषकों एवं धारा 2 (ब) में वायु प्रदूषण को परिभाषित कर, वायु प्रदूषण पर नियन्त्रण करने से संबंधित कानून बनाया। इस अधिनियम के प्रावधानों की सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर विस्तृत व्याख्या कर वायु प्रदूषण रोकने का प्रयास किया है, ताकि हर नागरिक को शुद्ध वायु मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है। यदि हमने अपनी आदतों में सुधार और नवोन्मेषी प्रयासों से जल और वायु का प्रदूषण नहीं रोका, तो हमारी आने वाली पीढ़ियों को भारी दुष्परिणाम भोगने होंगे। उन्होंने कहा कि शुद्ध वायु हमारे जीवन के लिये बेहद जरूरी है और जीवित रहने की पहली जरूरत भी है।
न्यायमूर्ति श्री जैन ने कहा कि आयोग का स्थापना दिवस प्रतिवर्ष 13 सितम्बर को मनाया जाता है परंतु मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी की व्यस्तता और उनकी उपलब्धता के कारण आयोग ने अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में 11 सितम्बर को कार्यक्रम मनाने का निर्णय लिया।
कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय सदस्यद्वय श्री मनोहर ममतानी एवं श्री सरबजीत सिंह, मुख्य वक्ता के रूप में सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सुशील कुमार जैन, मप्र मानव अधिकार आयोग के सचिव श्री शोभित जैन मौजूद थे। कार्यक्रम में न्यायमूर्ति श्री एके गोहिल, न्यायमूर्ति श्री एसके पालो, न्यायमूर्ति श्री एनके जैन, न्यायमूर्ति श्री आलोक वर्मा, न्यायमूर्ति श्रीमती विमला जैन, न्यायमूर्ति श्री केमकर, न्यायमूर्ति श्री अरविन्द शुक्ला, न्यायमूर्ति श्री वीके द्विवेदी, न्यायमूर्ति श्री नायक, अन्य न्यायाधीशगण, मप्र मानव अधिकार आयोग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बी बी शर्मा, प्रमुख सचिव एसएन मिश्रा, डीजी जेल अरविन्द कुमार, डीजी ईओडब्ल्यू अजय कुमार शर्मा, डीजी लोकायुक्त संगठन कैलाश मकवाना सहित आयोग के अन्य सभी अधिकारीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को), राज्य सरकार के उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित भोपाल के कैरियर काॅलेज ऑफ़ लाॅ तथा राजीव गांधी लाॅ काॅलेज के विद्यार्थी एवं संकाय सदस्यों ने भी प्रतिभागी के रूप में सहभागिता की।
कार्यक्रम में *मुख्य वक्ता* के रूप में संबोधित करते हुये श्री सुशील कुमार जैन ने कहा कि सबके जीवन के लिये वायु की उपयोगिता जगजाहिर है। वायु का प्रदूषित होना कितना घातक हो सकता है, यह भोपाल में रहने वाले लोग अच्छी तरह से जानते हैं। क्योंकि भोपाल ने एक भयानक गैस त्रासदी झेली है। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण से पूरे विश्व में हर साल सात लाख लोग असमय मृत्यु को प्राप्त होते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुये कहा कि हमें अपनी धरती और शुद्ध वायु को बचाने के लिये आगे आना ही होगा। वायु प्रदूषण रोकने के लिये माननीय उच्चतम न्यायालय की सक्रियता सराहनीय है। यही कारण है कि अब हर वर्ष 7 सितम्बर को इंटरनेशनल डे ऑफ़ क्लीन एयर फाॅर ब्लू स्काईस अर्थात नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह एक अच्छी कोशिश है, क्योंकि प्राणवायु को बचाने के लिये हमें अतिसक्रियता दिखानी होगी। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले तक मप्र में सबसे ज्यादा जंगल थे, पर अब यह कम हो रहे हैं, यह चिंता का विषय है। क्योंकि जंगल कम होने से ही पर्यावरण असंतुलन बढ़ रहा है। इससे हमारे क्षोभमंडल में ओजोन परत कमजोर होती जा रही है और इसी से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। उन्होंने माननीय उच्चतम न्यायलय के पर्यावरणीय निर्णयों का जिक्र करते हुये कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखे फोडने पर बंदिश लगाने से कुछ असर अब दिखने लगा है। उन्होंने आयोग द्वारा इतने संवेदनशील विषय पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिये आयोग को साधुवाद दिया।
कार्यक्रम के आरंभ में *विषय प्रवर्तन* करते हुये आयोग के सचिव श्री शोभित जैन ने शुद्ध वायु पर प्रकाश डालते हुये कहा कि वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसका स्तर साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें संपूर्ण जीवित प्रणाली के अस्तित्व की चिंता करनी होगी। क्योंकि वायु हमारे जीवन का प्राथमिक आधार है। उन्होंने कहा कि वातावरण में मौजूद प्रदूषकों के कारण मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है और प्रदूषण के कारण लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियाँ भी हो रही हैं। दूषित हवा में जाने से सांस लेने में परेशानी, सीने में जकड़न, आंखों में जलन आदि जैसी समस्याएं होती हैं। दुनिया के 10 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से 09 शहर भारत में ही हैं और यह खबर भारत के लिए बेहद गंभीर है कि हम रोज इतनी प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। वायु प्रदूषण के कारण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं और साफ हवा में खुलकर सांस लेना महज एक स्वप्न बनकर रह गया है। सामाजिक सहयोग से वायु प्रदूषण को रोका जा सकता हैं और हम सब मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण कर सकते हैं, जहां खुली हवा में सांस लेना हमारे जीवन और स्वास्थ्य पर भारी न पड़े।
*स्वागत भाषण में* आयोग के माननीय सदस्य श्री सरबजीत सिंह ने सभी अतिथियों एवं सहभागियों का स्वागत करते हुये कहा कि मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा अपने स्थापना दिवस 13 सितम्बर 1995 से ही हर साल किसी सामयिक विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं। इस वर्ष हमने शुद्ध वायु का अधिकार-मानव अधिकार विषय को चुना है। सभी जानते हैं कि शुद्ध वायु हमारे जीवन के लिये कितनी जरूरी है, परंतु अफसोस कि हमारे वातावरण में शुद्ध वायु दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। यही हाल रहा, तो वह दिन दूर नहीं, जब हमें शुद्ध वायु खरीदकर उपभोग करनी पड़ेगी। हम सबको समय रहते संभलने की जरूरत है। अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक अच्छा और स्वास्थ्यकर वातावरण और परिवेश दे सकें, हम सभी को ऐसी कोशिश करनी होगी।
कार्यक्रम के अंत में *आभार संबोधन में* आयोग के माननीय सदस्य श्री मनोहर ममतानी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सामान्य सभा ने 28 जुलाई 2022 को प्रस्ताव पारित कर स्वच्छ, स्वस्थ एवं संवहनीय विकास को मानव अधिकार माना है। उन्होंने आमंत्रित अतिथिगणों, न्यायमूर्तिगणों व न्यायाधीशगणों सहित कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले आयोग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों सहित राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों व अन्य प्रतिभागियों का आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भी भेंट किये गये।कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी की उद्घोषिका श्रीमती सुनीता सिंह ने किया।