देवेंद्र तिवारी सांची रायसेन
इन दिनों विश्व ऐतिहासिक नगर के राष्ट्रीय राजमार्ग को आवारा पशुओं ने अपनी जकड में ले रखा है अनेकों बार नगर प्रशासन से नगर वासियों ने लगाम लगाने की मांग की परन्तु प्रशासन बेखबर बना हुआ है इससे वाहन चालकों को परेशानी भोगना पड़ रही है।
इस विश्व विख्यात नगर के राष्ट्रीय राजमार्ग को आवारा पशुओं ने अपनी जकड में ले रखा है जबकि इस राष्ट्रीय राजमार्ग से अधिक दूरी कम दूरी के छोटे बड़े वाहनों की भागदौड़ लगी रहती है तथा आये दिन दुर्घटना भी होती रहती हैं इतना ही नहीं सड़कों पर बैठने वाले पशुओं को भी घायल होना पड़ता है तथा तड़प तड़प कर जान देना भी किसी से छिपा नहीं है जब भी कोई पशु घायल होता है तब नगर परिषद द्वारा उसे बस स्टैंड स्थित यात्री प्रतीक्षालय में लावारिस हालत में छोड़ दिया जाता है जिससे वह तड़प तड़प कर जान दे बैठते हैं इन तड़पते पशुओं को पशु चिकित्सालय में पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों को भी देखने की फुर्सत नहीं मिल पाती । इसके पूर्व भी नगर वासियों ने सीएमओ को आवेदन देकर आवारा पशुओं पर लगाम लगाने की तथा सड़कों से हटाने की मांग की परन्तु सीएमओ ने आवेदन पर कार्रवाई करते हुए सड़कों से आवारा पशुओं को हटाने आदेश जारी कर दिए तथा इस आदेश का असर भी सिर्फ एक फिल्म ट्रेलर की तरह होकर रह गया दिखाने के लिए मात्र कर्मचारियों ने एक दो दिन ही अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया इसके बाद ढर्रा जस का तस हो गया तथा आवारा पशुओं का मुख्य मार्ग सहित नगर के गली मुहल्ले में जमावड़ा लगने लगा तथा बेजुबान जानवरो को आयेदिन दुर्घटना का शिकार होना पड़ा । हालांकि ऐसा भी नहीं है कि क्षेत्र में गौशालाओं की कमी दिखाई देती हो परन्तु इन गौशालाओं को नाम पर मात्र सरकारी राशि हड़पने का खेल चलता रहता है हाल ही में समीपवर्ती ग्राम गुलगांव में लगभग 35 लाख रुपए की लागत से गौशाला का निर्माण तो क्या दिया गया परन्तु इस गौशाला में भी पशुओं को नहीं पहुंचाना भी कहीं न कहीं संदेह के घेरे से घिरा हुआ दिखाई देता है तब गौशाला के नाम पर सरकारी राशि की बलि चढ़ा दी गई तथा बावजूद इसके गौशाला भी पशुओं को एक काम न आ सकी यही हाल रायसेन तिराहे पर बनी सरकारी भूमि पर बनी निजी गौशाला भी पशुओं के नाम पर सिर्फ अनुदानों तक ही सिमट कर रह गई । तथा पशुओं की गौशाला होते हुए भी पशुओं को सड़कों पर बैठकर अपनी जान गंवानी पड़ रही है । तथा सड़कों से हटाकर गौशालाओं तक पहुंचाने से भी सम्बन्धित अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आ रहे हैं तथा आवारा पशु वाहन चालकों के लिए तो मुसीबत खड़ी कर ही रहे हैं परन्तु नगर वासियों को भी परेशानी खड़ी कर रहे हैं । इस समस्या से जहां शासकीय विभाग बेखबर बने हुए हैं तो जनप्रतिनिधियों को भी कोई सरोकार नहीं दिखाई देता है ।