– सनातन का सत्य,विषय पर हुई गोष्ठी
– संतूर वादन,शास्त्रीय गायन भी हुआ
विदिशा। पं गंगा प्रसाद पाठक ललित कला न्यास का वार्षिक आयोजन स्थानीय रविन्द्र नाथ टैगोर सभागार में सम्पन्न हुआ । इस कार्यक्रम में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित विदिशा के गौरव श्री कैलाश सत्यार्थी की जीवट भरी आत्मकथा “दिया सलाई ” पर विचारोत्तजक संवाद में श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि ” सामाजिक जीवन में छुआछूत और नये विचारों से विसंगति को दूर करने के विचारों के कारण उनका झुकाव आर्य समाज की ओर हुआ ” अपनी बात को विस्तार देते हुये कैलाश सत्यार्थी जी ने कहा कि ” बच्चों की ख़ुशी और व्यथित महिलाओं के आंसुओं में ईश्वर है ” ।कैलाश सत्यार्थी जी से भेंट वार्ता करते हुये न्यास के अध्यक्ष एवं प्रख्यात समालोचक डॉक्टर विजय बहादुर सिंह के प्रश्न पर बोलते हुये कैलाश जी ने कहा कि स्वर्ग मैं अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक को ले जाना चाहता हूं | मेरे लिये स्वर्ग अकेले नहीं चाहिये । ऐक और प्रश्न के ऊत्तर में वे बोले कि मैं करूणा का भूमंडलीयकरण करना चाहता हूं चेतना करूणा का मूल तत्व है ।
सनातन का सत्य विषय पर संगोष्ठी में सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बैद्यनाथ लाभ ने कहा कि सनातन सिद्धान्त और कर्म का समन्वय हे। सनातन कायम था,कायम है और कायम रहेगा लेकिन यह अपरिवर्तनीय नहीं रह सकता ।प्रोफेसर बैद्यनाथ लाभ ने अपनी बात बढ़ाते हुये कहा कि “वेद और लोक की उपस्थति ही सनातन है । सनातन ज्ञान के निरंतर बहाव और बदलाव को ग्रहण भी करता है और स्वीकार भी ।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान दिल्ली के पूर्व कुलपति और 175 से अधिक ग्रंथ और 250 से अधिक शोध लेख एवं समीक्षाओं के लेखक आचार्य राधा वल्लभ त्रिपाठी ने कहा कि गतिशील होना ही सनातन है । सनातन कोई ऐसा विचार नहीं है जो अपने दरवाज़े बंद रखे वह सृष्टि में समग्रता को देखता हे। वह सबका उत्थान चाहता है। सबके प्रति करूणा भाव की स्वीकारोक्ति ही सनातन है ।
संगोष्ठी का संचालन कर रहे डॉक्टर विजय बहादुर सिंह ने कहा कि अब हमें ये जानना ज़ुरूरी है कि जो इन दिनों प्रचारित किया जा रहा वह सनातन है,या कुछ और कार्यक्रम का संचालन न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद देवलिया ने किया ।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र का आरंभ,विदिशा के प्रसिद्ध गायक ,संगीतकार आशुतोष पाठक के गायन से हुआ, तबला पर संगत दे रहे थे,खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक के साथ दीक्षित श्री सजंय मिश्र।ताल कहरवा में शलभ श्री राम सिंह जी की रचना की प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम के दूसरे दौर में देश के ख्यात संतूर वादक श्री सत्येन्द्र सिंह सोलंकी का संतूर वादन हुआ । सत्येन्द्र ने राग गोरख कल्याण में रूपक ताल में निबद्ध गत में आलाप,जोड़ ,झाले के साथ ध्रुपद शैली में राग विस्तार किया । इसके बाद उन्होंने मध्यलय तीनताल में अतिद्रुत की गत से अपना वादन
समाप्त किया । देश के ख्यात युवा तबला वादक श्री रामेन्द्र सोलंकी ने मधुरता के साथ तबला संगत की ।
संतूर वादन के बाद भोपाल के ही श्री सारंग फगरे ने राग चन्द्रकौंस में मध्यलय तीनताल में “वेणुनाद दसों दिस गई तब” के बाद दूसरी बंदिश भी मध्यलय तीनताल में सुनायी बोल थे ” तब की करां ”
सारंग के साथ तबले पर विख्यात तबला वादक मनोज पाटीदार ने अनुकूल संगत की। कार्यक्रम से पूर्व अतिथियों ने मां सरस्वती एवं स्व• पाठक जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं पुष्प अर्पित किये । अतिथियों का स्वागत श्री राकेश शर्मा,नगरपालिका में सांसद प्रतिनिधि ने, सेठ संजय जैन, श्री अशोक कोठारी जी ने,कामरेड माधोसिंह, डॉ विनोद भट्ट, सुदिन श्रीवास्तव, सतीश खत्री,डॉ नीरज शक्ति निगम,एड्वोकेट चक्रवर्ती जैन, अरविंद द्विवेदी,श्री प्रकाश पाठक, मनमोहन बंसल, रामशरण ताम्रकार, अनंत सिंह ने किया । संचालन न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष श्री गोविन्द देवलिया एवं आभार सचिव श्री सुनील जैन ने किया ।
कार्यक्रम में सुखदेव लड्डा,मोहित रघुवंशी ओलम्पस , वी पी सिंह,सनराइजर्स,प्रवीण शर्मा, अरविंद श्रीवास्तव, प्रकाश जोशी,सुलखान सिंह,नीलेश राठौर, शिवकुमार तिवारी, विजय शर्मा,बसंत माहेश्वरी, उमेश शर्मा, आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।उक्त जानकारी संयोजक सुदिन श्रीवास्तव ने प्रदान की।