उवेश खान सिलवानी रायसेन
रायसेन जिले की सिलवानी तहसील में इन दिनों अवैध शराब का धंधा खुलेआम फल-फूल रहा है। बम्होरी, प्रतापगढ़, सियरमऊ क्षेत्र के आसपास के गांवों में शाम ढलते ही शराब की बोतलें खुलेआम बिकती नजर आती हैं। हालत यह है कि ठेकेदारों की मौज है, वे बेधड़क धंधा चला रहे हैं, और प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह मौन हैं। सवाल यह है कि क्या ये सारा कुछ बिना मिलीभगत के हो रहा है?
तहसील क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री से गांव की युवा पीढ़ी बर्बादी की कगार पर है। घरों में कलह, महिलाओं की पीड़ा, बच्चों का भूखा सोना—ये अब यहां की आम तस्वीर बन गई है। महिलाएं कई बार मोर्चा खोल चुकी हैं, ज्ञापन सौंप चुकी हैं, पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिलता है। “रात को गलियों में नशे में झूमते युवक, घर लौटते वक्त डरती बेटियां और महिलाओं की चीख-पुकार… ये अब सिलवानी की पहचान बनती जा रही है।” – यह कहना है एक स्थानीय महिलाओं का, जो लगातार प्रशासन को जगाने की कोशिश कर रही हैं।
कई गांवों में महिलाएं खुद अवैध दुकानों पर जाकर विरोध कर चुकी हैं, शराब को नदियों में बहा चुकी हैं, लेकिन फिर भी ठेकेदारों पर कोई असर नहीं पड़ा। उल्टा, उन्हें खुलेआम संरक्षण में शराब बेचते देखा जा सकता है। क्षेत्रीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी संदेह के घेरे में है। आखिर क्यों आंखें मूंद रखी हैं उन्होंने?
सरकार और प्रशासन को जवाब देना होगा—कि कब तक इस ज़हर को हमारे गांवों में खुलेआम बिकने दिया जाएगा? कब तक महिलाओं की आवाज़ को अनसुना किया जाएगा? और कब तक आम जनता इस शराब माफिया की सजा भुगतेगी? अब जनता सवाल पूछ रही है, और अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह चुप्पी एक बड़ा आंदोलन जन्म दे सकती है।
“शराब बिकेगी नहीं—हम चुप बैठेंगे नहीं!”