हलारिया गौर परिवार द्वारा आयोजित किया जा रहा वीर बम बोल बाबा मेला का आयोजन
सी एल गौर रायसेन
जिला मुख्यालय से मात्र 7 किलोमीटर दूर रायसेन चिकलोद मार्ग स्थित ग्राम बनगमा में 100 वर्षों से भी अधिक समय से यहां के हलारिया परिवार द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी वीर बम बोल बाबा का विशाल मेघनाथ मेला प्रत्येक वर्ष होली के दूसरे दिन पड़वा को यह अनूठा आयोजन हजारों लोगों की मौजूदगी में संपन्न होता आ रहा है। जानकारी के अनुसार गांव के पाठशाला भवन के पास मैदान में लगभग 35 फीट ऊंचे लोहे के ख़म्वे लगे हुए हैं जिन पर ऊपर चढ़ने के लिए खूंटी की मदद से जिन पर चढ़कर ऊपर बकरी के बच्चे को धार की नोक पर छेदा जाता है और फिर उसे सुरक्षित घुमाने के बाद नीचे उतार लिया जाता है। इससे पूर्व वीर बम बोल बाबा की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है हलारिया परिवार के सभी लोग एकत्रित होकर उत्साह के साथ पूजा पाठ में भाग लेते हैं इसके साथ ही जो लोग मन्नत मांगते हैं उनकी मन्नत पूरी होने पर वह यहां प्रसाद चढ़ाने आते हैं बाबा की कृपा से कई महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है इस खुशी में भी वह यहां प्रसादी चढ़ाने आते हैं और अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी श्रद्धा भावना के साथ कराते हैं।
हालिया परिवार के सदस्य नंदकिशोर गौर, मुन्नालाल गौर आदि ने बताया कि यह हमारे परिवार की अनूठी परंपरा हमारे बाप दादाओ के जमाने से चली आ रही है उन्होंने बताया कि परंपरा को 100 वर्षों से भी अधिक समय हो गया है हमने तो इस परंपरा को आगे बढ़ने का कार्य किया है और आगे भी करते रहेंगे। वीर बम बोल मेले के आयोजन में बंनगमा गांव सहित आसपास के कई गांव के लोग भी यहां मेले का आनंद लेने के लिए आते हैं कई दुकानदार भी चलित दुकान यहां पर लगाते हैं।
पड़वा के दिन शुक्रवार को यहां वीर बम बोल बाबा का मेला धूम धाम के साथ आयोजित किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने उत्साह के साथ भाग लिया। खासकर इस मेले में पूजा पाठ होने के पश्चात खंभों के दोनों तरफ रस्सी बांधकर लोग परिक्रमा लगाते हैं इसी दौरान कोड़ा मारने की परंपरा शुरू होती है जिससे परिक्रमा लगाने वाले लोगों को कोड़े से मारा जाता है। विशेषता ऐसी है कि कोड़े की मार से तनिक भी लोगों को चोट नहीं पहुंचती ऐसा पूछने पर हलारिया परिवार के लोगों ने बताया कि यह वीर बम बोल बाबा की कृपा है उनकी कृपा से ही हमारे परिवार के सभी काम होते हैं । प्रत्येक वर्ष होली के दूसरे दिन पड़वा को हम यहां पूजा पाठ कर मेले का आयोजन करते हैं। मेला समापन के बाद श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया जाता है।