रायसेन की रामलीला :: राजा दशरथ और रानी केकई से आज्ञा लेकर वनवासी रूप धारण कर राम लखन सीता ने किया वन गमन
जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े
सी एल गौर रायसेन
ऐतिहासिक रामलीला में सोमवार को गंगा अवतरण, केवट संवाद एवं राम वन गमन की अति रोचक लीला का मंचन मंच एवं मिश्र तालाब पर कलाकारों द्वारा किया गया जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शन प्रसंग को देखने के लिए पहुंचे थे। प्रस्तुत की गई लीला के अनुसार वन गमन करने से पूर्व भगवान राम सीता और लक्ष्मण अपने पिता दशरथ जी एवं रानी केकई से आज्ञा लेने के लिए पहुंचते हैं, इस समय रानी केकेई कहती है कि राम तुम वन तो जा रहे हो परंतु इस दौरान कहीं बस्ती या किसी के घर पर नहीं जाना सिर्फ वन में ही रहना है और कंदमूल फल खाकर अपनी दिनचर्या व्यतीत करना है। इस प्रकार से अपने माता-पिता आज्ञा लेकर भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता गंगा नदी के किनारे पहुंचते हैं वनवासी वेशभूषा धारण किए हुए जब भगवान वहां पहुंचे तो इस दौरान उनकी सर्वप्रथम भेंट निषाद राज केवट से होती है केवट भगवान को देखकर समझ नहीं पाता है। इस प्रकार से भगवान राम केवट से गंगा नदी के उस पार जाने के लिए कहते हैं और अपना पूरा परिचय देते हैं फिर केवट समझ जाता है कि है यह तो साक्षात भगवान राम हैं, जब नाव में बैठने के लिए अपना परिचय देते हुए भगवान केवट से कहते हैं हम अपने माता-पिता की आज्ञा से वन जाने के लिए निकले हैं अगर आपकी इस लकड़ी की नाव से हमें आप गंगा पर कार दें तो बहुत ही अच्छी बात है, केवट मन ही मन भगवान को अपने सामने पाकर उत्साहित होता है और अपनी लकड़ी की नाव में भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता को बैठाकर गंगा नदी के पार करता है। इस समय की अति रोचक लीला है जब भगवान श्री राम और निषाद राज केवट के बीच गंगा नदी के किनारे अति सुंदर संवाद होता है तो वहां मौजूद दर्शकों का भी खुशी का ठिकाना नहीं रहता जैसे ही भगवान गंगा नदी के पार होते हैं वैसे ही दर्शकों में अति उत्साह देखने में आता है, और गंगा नदी के पार उतराई में केवट को भेंट के रूप में अपनी अंगूठी उतार कर देने लगते हैं। इस समय केवट अंगूठी लेने से मन करता है और कहता है कि हे प्रभु आप तो दुनिया के नाथ हैं, मैं आपसे कैसे उतराई ले सकूंगा मैं तो
अपने बीच आपको पाकर और आपके चरण पखार कर में और साथ में मेरी पूरी पीढ़ी भी आपका आशीर्वाद से धन्य हो गई, इससे बढ़कर और क्या भेंट होगी। यहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने यहां पवित्र रामायण में यह चौपाई का उल्लेख किया है कि,, मांगी नाव न केवट आना,, कहहूं तुम्हार मरम महि जाना,, अर्थात् परमात्मा राम तो केवट के मन की बात समझ रहे थे कि निषाद राज केवट के मन में क्या चल रहा है, परंतु यही तो प्रभु की लीला है कि निषाद राज केवट को दर्शन देकर उसका जीवन भी धन्य कर देते हैं। यह जीवन चरित्र हमें भगवान राम ने सीखने और चलने के लिए बताया है । इस प्रकार से मिश्र तालाब के किनारे श्री राम वन गमन और गंगाअवतरण प्रसंग की अति शानदार प्रस्तुति को देखकर वहां मौजूद बड़ी संख्या में दर्शकों ने जय जय श्री राम के जयकारे लगाए और भगवान राम लक्ष्मण सीता जी की महा आरती कार्यक्रम में उत्साह के साथ भाग लिया इसके पश्चात भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता नंगे पैर ही वनगमन के लिए चल देते हैं।
मंगलवार को होगी श्री राम भरत मिलाप प्रसंग की लीला
श्री रामलीला मेला आयोजन समिति के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मंगलवार को रामलीला मैदान में स्थानीय कलाकारों द्वारा श्री राम भरत मिलाप प्रसंग की अति रोचक पूर्ण लीला का मंचन किया जाएगा।