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श्री राम कथा के पंचम दिवस कथा सुनकर भाव विभोर हुए हजारों श्रद्धालु

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आजकल लोग अपने सुख के लिए भगवान को भी भूलते जा रहे हैं- पंडित मुरलीधर जी महाराज

रायसेन। जिला मुख्यालय स्थित दशहरा मैदान पर विगत 11 सितंबर से प्रारंभ हुई श्री राम कथा के आयोजन में जन्मदिन भक्तों की भारी भीड़ कथा सुनने के लिए पहुंच रही है ।

कथा के पंचम दिवस  देश के जाने-माने महान संत पंडित मुरलीधर जी महाराज ने हजारों श्रोताओं को अपनी व्यास गांधी से आशीर्वचन देते हुए कहा कि आज के दौर में लोग अपने सुख के लिए भगवान को भी भूलते जा रहे हैं जबकि उन्हें यह पता नहीं की परमात्मा ही सब कुछ है उसको भजोगे तो इस भवसागर से तर जाओगे। महाराज श्री ने कहा कि जगत व्यवहार करने के साथ परमात्मा को भी याद करो और सच्चे मन से अगर आप याद करेंगे तो वह आपकी सारी इच्छाएं पूरी भी कर देंगे।

श्री रामचरितमानस पर आधारित चौपाइयों के गायन के माध्यम से महाराज जी ने मधुर तान सुना कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया रामायण जी के प्रसंग अनुसार गुरु विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण जनकपुर पहुंचते हैं और वहां विश्वामित्र जी राम लक्ष्मण से जनकपुर के सुंदर बगीचे को देखने के लिए कहते हैं जैसे ही भगवान राम और लक्ष्मण बगीचे को देखते हैं वहां जनकपुर के कुछ नर नारी की नजर भी उन पर पड़ती है और जैसे ही यह खबर जनकपुर में पहुंचती है कि दो राजकुमार जनकपुर में आए हैं तो वहां भगवान राम लक्ष्मण को देखने के लिए जनकपुर के नर नारी दौड़े चले आते हैं भगवान की सुंदर सूरत और मोहनी मूरत देखकर जनकपुरवासी हर्ष के साथ उन्हें निहारत हैं। इस प्रकार से रामायण जी के इस पावन प्रसंग की विस्तार के साथ कथा जब महाराज श्री ने श्रोताओं को सुनाई तो श्रोता भी भगवान के प्रति भाव विभोर हो उठे। जनकपुर में भगवान को ठहरने के लिए सिर्फ दो महल ही सुंदर थे एक राजा जनक जी का तो दूसरा किशोरी जी माता सीता का निवास परंतु जनक जी ने भगवान राम के लिए सीता जी के निवास में ठहरने के लिए आग्रह किया और सीता को अपने भवन में ले गए । इस प्रकार की यह मार्मिक कथा प्रसिद्ध राम कथा वाचक पंडित मुरलीधर जी महाराज ने कही ।

महाराज श्री ने कथा का वाचन करते हुए आगे कहा कि रानी शतरूपा ने परमात्मा राम को पाने के लिए 17 वर्षों तक कठिन तप किया तब जाकर उन्हें परमात्मा की प्राप्ति हुई थी परंतु धन्य है जनकपुरवासी जिनके यहां परमात्मा उनके बीच पहुंचे यह बहुत ही जनकपुर वासियों के लिए सौभाग्य की बात थी। उन्होंने कहा कि भगवान राम अहिल्या का उद्धार करने के पश्चात गुरु विश्वामित्र के साथ राजा जनक की नगरी जनकपुर पहुंचे थे। महाराज श्री ने कहा कि श्री राम चरित्र मानस ऐसा महासागर है जिसे कोई भी साधारण मनुष्य नहीं समझ सकता उन्होंने कथा का महत्व बताते हुए कहा कि कथा तीन प्रकार की होती है पहले यथार्थ दूसरा भयानक और तीसरी रोचक के रूप में होती है। महाराज श्री ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण जी और श्री रामचरित्र मानस में एक-एक शब्द चुन चुन कर लिखा है कौन से शब्द का कहां प्रयोग करना है उसका वर्णन उन्होंने दर्शाया है उन्होंने कहा कि इस पवित्र गंगा में जो भी स्नान करेगा वह तर जाएगा और जीवन के सभी पापों से मुक्त भी हो जाएगा उन्होंने गंगा मैया की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गंगा मैया का बड़ा महत्व है इसमें स्नान करने मात्र से पूरे पाप नष्ट हो जाते हैं दूसरा नर्मदा मैया है स्नान करने से भी मनुष्य के संकट दूर हो जाते हैं। कलयुग में हरिद्वार महा तीर्थ है वास्तव में हरी का ही द्वार है जहां पहुंचने मात्र से मनुष्य को शांति का एहसास होता है। इसी पवित्र गंगा में स्नान कर भगवान राम गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर नगरी पहुंचे थे उन्होंने संत जीवन के ऊपर बोलते हुए कहा कि आज के दौर में महाराज हर जगह आपको मतलबी संत मिल जाएंगे परंतु संत की परिभाषा बहुत बड़ी है संत तो वह होता है जो मनुष्य की सारी इच्छाओं का अंत कर दे वही सच्चा संत है।


महाराज जी ने भजन में कहा कि मैं तो रमता जोगी राम,,,, मेरा दुनिया में क्या काम,,,, इस भजन पर कथा में मौजूद सैकड़ो श्रद्धालु नाचने के लिए विवश् हो गए। उन्होंने कहा कि आजकल लोग अपने बच्चों के नाम राम और कृष्णा पर रख लेते हैं परंतु उनके जैसा आचरण नहीं करते नाम रखने से क्या फायदा राम और कृष्ण के चरित्र को आत्मसात करते हुए जीवन मे चलना पड़ता है, उसे किसी प्रकार की व्यवधानों का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने आशीर्वचन देते हुए कहा कि जब संसार में आदमी का मन लगता है तो आसक्ति हो जाती है और उसी इंसान का मन भगवान की भक्ति में यदि लग जाए तो उसे शक्ति की प्राप्ति हो जाती है।

इस प्रकार से राम कथा के आयोजन में प्रसिद्ध कथावाचक पंडित मुरलीधर जी महाराज ने रामायण जी और श्री रामचरितमानस के आधार पर अनेक चौपाइयों के माध्यम से विस्तार के साथ श्रोताओं को समझाया संगीतमय श्री राम कथा कैसे आयोजन में प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं और संगीतमय मीठी तान पर महाराज जी के श्री मुख से मधुर भजन और वचन सुनकर भाव भर होते हैं। ज्ञात हो कि जिला मुख्यालय रायसेन में बड़े स्तर पर श्री राम कथा का आयोजन पहली बार हो रहा है इससे पूर्व में पंडित नागर जी महाराज की श्रीमद् भागवत कथा एवं शिव कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी की शिव कथा का आयोजन इस पवित्र भूमि दशहरा मैदान पर हो चुका है। जिला मुख्यालय पर यह तीसरी बड़ी कथा है जो राम कथा हो रही है जिसे सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रोता रोज कथा स्थल पहुंच रहे हैं।

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