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दूध के खाली पैकेट में पौध रोपित तकनीक की सीसीएफ ने की प्रशंसा , मप्र में सभी रेंजर्स इसका अनुशरण करें : सीसीएफ खरे 

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शरद शर्मा बेगमगंज रायसेन

रेंजर द्वारा दूध के अनुपयोगी पॉलिथीन पैकट को एकत्रित कराकर उनमें विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपित कर नर्सरी तैयार की जा रही है । साथ ही पक्षियों को दानापानी पात्र एवं वन्यप्राणियों के लिए घने जंगलों में सौंसर ( गड्ढे ) बनाकर प्रतिदिन पानी भरवाया जा रहा है ।

 सीसीएफ राजेश खरे द्वारा बेगमगंज में निरीक्षण में बेजुबान पक्षियों , वन्यजीवों के लिए दाना पानी की व्यवस्था एवं दूध की खाली पॉलीथिन पैकेट में विभिन्न प्रजातियों की पौध तैयार करने की तकनीक एवं नर्सरी में सभी पौधों को जीवित रखने रहने को लेकर निरीक्षण उपरांत मुक्त कंठ से प्रशंसा की ।

उन्होंने कहाकि मध्य प्रदेश में पहली बार एक रेंजर द्वारा किए जा रहे हैं ऐसे प्रयास प्रदेश में अन्य कही भी देखने व सुनने को नहीं मिले
ऐसे अनुकरणीय प्रयोग की आवश्यकता सभी वनपरिक्षेत्रों में है । सभी रेंजर्स को इनका अनुसरण करते हुए प्रेरणा लेकर अपने-अपने वन क्षेत्र में इस तरह के प्रयोग करके मुफ्त में लाखों की संख्या में विभिन्न प्रजातियों के पौधों को तैयार किया जा सकता है ताकि आगामी जुलाई माह में वन महोत्सव के दौरान वन भूमि क्षेत्र एवं खुली पड़ी हुई उस भूमि पर लाखों की संख्या में वृक्षारोपण किया जा सके । यह अच्छी पहल है इसका अनुसरण करने के लिए हम भी सभी रेंजर्स को प्रेरित करेंगे ।

उन्होंने बताया कि उजड़ते हुए वनों को संरक्षित करने के उद्देश्य से सीसीएफ राजेश खरे स्वयं मैदान में उतरे हैं । इसको लेकर वह इस भीषण गर्मी में भी लगातार वनों का स्थल निरीक्षण के साथ जंगलों को बचाने एवं नए पौधों के रोपण की कवायद में जुट गए हैं ।

सीसीएफ खरे ने देखा कि वन परिक्षेत्राधिकारी अहिरवार लोगो द्वारा दूध की फेंकी गई पॉलिथीन को एकत्रित कराकर उन्हें अच्छी तरह से साफ कराकर उनमें अब तक विभिन्न प्रजाति के 20 हजार पौधे रोपित किए हैं और आगे भी काम लगा है ।
इस भीषण गर्मी में भी वन विभाग की नर्सरी में सभी पौध को जिंदा रखे हुए हैं । तैयार किए गए पौधों को वन विभाग के प्लांटेशन सहित अन्य स्थानों पर वृक्षारोपण के द्वारा लगाकर उन्हें पोषित किया जाएगा ।
इसके साथ ही रेंजर अहिरवार द्वारा बेजुबान पक्षियों के लिए जगह-जगह दाना पानी की व्यवस्था की गई है और उनके तकनीकी आधार पर दाना व जलपात्र एवं घोसले बनवाकर सैकड़ों की संख्या में लगवाए गए हैं ताकि वह आराम से उन घोसलों के अंदर अपना घरौंदा बना सके।
गौरेया सहित अन्य प्रजाति की चिड़ियों के संरक्षण के लिए पानी पीकर फेंकने वाली बोतलों को एकत्रित करके उनका सदुपयोग करते हुए दानापानी के पात्र बनाए । इन छोटे -छोटे झूलों से सज्जित पात्रों में बेजुबान चिड़िया दानापानी पाकर खुश होती है ।
जिन्हें नगर सहित ग्रामीण अंचल में जिम्मेदार लोगों की देखरेख में घरों के आंगन , बगीचों या फिर अच्छी जगह पेड़ों पर लटकवाए गए हैं ।उन्हें सुगमता से पानी एवं दाना उपलब्ध कराने के लिए वन विभाग का अमला भी जुटा हुआ है ।
इसके अतिरिक्त बेजुबान वन्यप्राणियों को जंगल में पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जगह-जगह सौसर ( गड्ढो ) का निर्माण कराया गया है। जिनमें प्रतिदिन टैंकर से पानी भरा जाता है ।
वन नर्सरी के अंदर दीवारों पर विभिन्न वन्यप्राणियों की वॉल पेंटिंग के साथ करीब 100 साल पुराने कुएं का जीर्णोद्धार कराया गया जिससे कुएं के अंदर पानी की झिरें रिचार्ज हो गई और उसमें बहुत पानी एकत्रित हो गया । जो वन नर्सरी के लिए जीवनधारा सिद्ध हो रहा है ।
सीसीएफ राजेश खन्ना बताया कि बेगमगंज रेंजर के सराहनीय कार्य पौध तैयार करने की विशेष तकनीक एवं बेजुबान पक्षियों एवं वन्यप्राणियों के लिए की गई इस अनूठी पहल का अनुसरण करने के लिए मध्य प्रदेश के सभी रेंजर्स को प्रेरित किया जाएगा ।

 

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