उज्जैन। नगर की सुख-समृद्धि की कामना से चैत्र नवरात्र की महाष्टमी पर नगर पूजा की जाती है। मंगलवार को चौबीस खंभा माता मंदिर स्थित महामाया व महालया को नगर पूजा के दौरान मदिरा का भोग लगाया गया। हरसिद्धि माता मंदिर में भी शासकीय पूजन हुआ।
धर्मधानी उज्जैन में सुख-शांति, समृद्धि व बीमारियों के प्रकोप से बचाव के लिए नगर में प्रतिवर्ष नवरात्र पर नगर पूजा की परंपरा चली आ रही है। हजारों वर्ष पहले यह पूजा उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य करते थे। सिंधिया स्टेट काल में भी यह परंपरा कायम रही।
मंगलवार को निरंजनी अखाड़े द्वारा चौबीस खंभा माता मंदिर में मदिरा का भोग लगाया गया। निरंजनी अखाड़े के महंत व अभा अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी महाराज ने नगर पूजा प्रारंभ की। दोनों मंंदिरों में महंत ने मदिरा भोग अर्पित किया। पूजन के पश्चात यात्रा प्रारंभ की गई।
निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर साध्वी मंदाकिनी पूरी की अगुवाई में यात्रा निकाली गई। यात्रा के दौरान हांडी में मदिरा लेकर निकले। यह यात्रा 27 किलोमीटर की परिक्रमा पूरी करेगी। इस दौरान रास्ते में पड़ने वाले देवी मंदिरों और भैरव मंदिरों में माताजी और भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाएगा और पूजा अर्चना की जाएगी।
नगर पूजा के दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इसी के साथ शक्तिपीठ हरसिद्धि माता मंदिर में शासकीय पूजा व घरों में कुलदेवी की पूजा की गई। मंदिर में हवन पूजन के बाद नवमी को रात्रि 12 बजे जवारे विसर्जन किए जाएंगे।
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