खत्म होते जा रहे प्राकृतिक नाले और नहर : नीचे जा रहा जलस्तर
धीरज जॉनसन
दमोह:गर्मी का कहर बढ़ते ही जलस्रोत भी सूखने लगे है और अब लोगों का ध्यान उन प्राचीन स्रोतों पर जा रहा है जिनसे ग्रामों और खेतों का जलस्तर बरकरार रहता था, पर निर्माण कार्यों के कारण नाले/नहर गायब हो गए है और पानी की कमी परिलक्षित हो रही है।
जिले से लगभग 55 किमी दूर सिग्रामपुर जो एक पहाड़ी इलाकों में शामिल है वहां बारिश के मौसम में पहाड़ी के महादेवघाट से आने वाला पानी, नाले/नहर के द्वारा सिग्रामपुर के मध्य से गुजरता था बीच में पक्की नहर भी बनाई गई थी जो पौड़ी तिराहे से आगे निकल जाती थी,जिससे गांव और खेतों का जलस्तर गर्मियों के समय में भी बना रहता था व दिक्कतें नहीं होती थी पर देखरेख न होने और अतिक्रमण व निर्माण कार्य हो जाने से नाला/नहर कहीं-कहीं गायब हो चुके है जिससे पानी का आना भी रुक गया है।गांव के मुलायमचंद बाबा,सुग्रीव,श्याम, बताते है कि भैसा मार्ग सिग्रामपुर-मोटेहार पर नहर का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है बहुत पहले से यहां पानी आता रहा है पर अतिक्रमण होने के कारण रेग्युलेटर नाला/नहर विलुप्त हो गया अगर यह पुनः प्रारम्भ हो जाए जो सिग्रामपुर, सासना, पिपरिया,धनेटा ग्रामों में जलस्तर बढ़ जाएगा।
इनका कहना है-
“स्वयं मौके पर जाकर कहा गया कि इसे जल अभिषेक अभियान में लें व अपना प्लान बनाये कि पानी/सीपेज कैसे रोकेंगे, यह काफी पहले से बंद है,नहर प्रारम्भ होने से वाटर सोर्सेस बढेगा,चैक कर अतिक्रमण हटवाएंगे”
-ए. यादव तहसीलदार, जबेरा
“नहर थी,700-800 एकड़ कृषि भूमि के लिए पानी भी मिलता था,नहर की जगह पर निर्माण कार्य हुआ जिसे रोकने के लिए नोटिस भी दिए गए,उच्च स्तरीय कार्यवाही होना चाहिये”
–आर.राय सरपंच ग्राम पंचायत सिग्रामपुर
– जलस्तर बढेगा,किसानों के लिए सुविधा होगी,इसके लिए प्रयास किया जाएगा”
आर सिंह सचिव,ग्राम पंचायत सिग्रामपुर
न्यूज स्रोत:धीरज जॉनसन