हाथ का पंजा कटने के बाद भी बना रहा हौसला
देशी तकनीक से बनवाया था हंसिया
धीरज जॉनसन दमोह
जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के सर्रा ग्राम के नंदलाल जिनके हांथ का हिस्सा एक हादसे के बाद नहीं रहा फिर भी इन्होंने दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बना के परिवार का सहयोग करना शुरू किया,जो एक प्रेरणा देने वाली कहानी है।
करीब एक साल पहले खेत पर काम के दौरान थ्रेशर की चपेट में आने से नंदलाल का हाथ कुहनी से अलग हो गया था, चूंकि परिवार में बुजुर्ग माता पिता के अलावा उनकी पत्नी (मीरा) और दो छोटे बच्चे सचिन (12) और हर्षिता (8) भी है जिनकी देखरेख की जिम्मेदारी नंद लाल पर है जिन्हें वे अच्छी शिक्षा भी दिलाना चाहते है शिक्षित न होने के कारण वे पहले से कृषि कार्य कर रहे है।
नंदलाल बताते है कि परिवार के पास करीब 3 एकड़ भूमि है और खेती के लिए कुछ भूमि दूसरों से भी ले लेते है परिवार की आय के स्रोत ज्यादा नहीं है इसलिए सभी मिलकर काम करते है जिसमें फसल कटाई का काम बहुत महत्वपूर्ण है और हादसे के बाद फसल काटने वालों की कमी होने लगी थी पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और गांव में लोहे इत्यादि के काम करने वाले एक व्यक्ति से ऐसा हंसिया बनाने कहा जो हाथ के शेष हिस्से में जुड़ा रहे। एक हाथ से कटाई करने जैसे असम्भव काम को सम्भव बनाते हुए देशी तकनीकी से हसियां तैयार करवाया और हाथ में बांध कर कटाई करते हैं। इसके साथ ही खेती के अन्य कार्यों में भी मदद करते है जिससे परिवार को बहुत सहयोग मिल जाता है।