भगवान बुद्ध के शिष्य अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगल्यान के पवित्र अवशेषों (अस्थियां) पुनः सांची स्तूप मंदिर लाया गया
साँची, विधिवत पूजा के बाद पवित्र अवशेषों को चैत्यगिरी बिहार मंदिर में बने तलघर में रखा गया सुरक्षित
दर्शनार्थ हेतु थाईलैंड ले जाए गए पवित्र अवशेषों का 40 लाख से अधिक बौद्ध श्रृद्धालुओं ने किया दर्शन
देवेंद्र तिवारी साँची रायसेन
भगवान बुद्ध के शिष्यों अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगल्यान के पवित्र अवशेषों को थाईलैंड से वापस सांची में बौद्ध स्तूप पसिर में स्थित चैत्यगिरी विहार मंदिर में लाया गया। यहां भारत सरकार द्वारा अधिकृत तथा राष्ट्रीय संग्रहालय के प्रतिनिधि श्री डीजे प्रदीप द्वारा अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगल्यान के पवित्र अवशेषों को महाबोधी सोसायटी श्रीलंका के प्रमुख श्री वानगल उपतिस्स नायक थेरो तथा कलेक्टर श्री अरविंद दुबे को सौंपा गया।
बौद्ध स्तूप परिसर स्थित मंदिर में इन पवित्र अवशेषों को विधिवत पूजा-अर्चना कर सुरक्षित रूप से तलघर में रखा गया। पवित्र अवशेषों को मंदिर में लाते समय गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। सुरक्षित तरीके से पूर्ण प्रक्रिया का अभिलेखीकरण, वीडियोग्राफी तथा पंचनामा भी तैयार कराया गया। इस अवसर पर आईबीसी के डायरेक्टर श्री विजयेंद्र थापा, पुलिस अधीक्षक श्री विकास शहवाल भी उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा अनुमति दिए जाने के उपरांत सांची में बौद्ध स्तूप परिसर में स्थित मंदिर में रखे भगवान बुद्ध के शिष्यों अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगल्यान के पवित्र अवशेषों को 14 फरवरी 2024 को सांची से भोपाल और फिर दिल्ली ले जाया गया। वहां से इन पवित्र अवशेषों को दर्शनार्थ हेतु थाईलैंड, बैंकाक और कंबोडिया विहार ले जाया गया। दिनांक 22 फरवरी से 18 मार्च 2024 तक थाईलैंड और विभिन्न शहरों में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को अनुयायियों और आमजन के अवलोकन के लिए ष्बुद्धभूमि भारतष् पैवेलियन में रखा गया। लगभग 40 लाख से अधिक बौद्ध श्रृद्धालुओं ने भगवान बुद्ध के शिष्यों अर्हन्त सारिपुत्र और अर्हंत महामोगल्यान के पवित्र अवशेषों के दर्शन किए।