पेटलावद। गर्मी के मौसम में हर साल आग से लाखों की संपत्ति स्वाहा होती है। तो कहीं जनहानि भी भारी पड़ती है। आग पर काबू पाने वाला अग्निशमन विभाग हर साल खुद को सक्षम बनाने की कवायद करता है। मगर ये कवायद अब तक धरातल पर नहीं उतर पाती। शहर का विस्तार हो रहा है और हादसे बढ़ रहे हैं। मगर अग्निशमन के रास्तों के गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं लेते। अब तक न तो दमकल गाडियां बढ़ पाई हैं और न जवान। इतना ही नहीं घटना के वक्त तो दमकल गाडिया कम ही पड़ जाती है।
गर्मी का मौसम आते ही वन परिक्षेत्र के जंगलों पर आग का खतरा मंडराने लगता है। इस वजह से कई बार वनों को नुकसान हो चुका है। इसके बाद भी वन विभाग जंगलों में न तो सूखे पत्ते साफ करवाता है और न ही उसके पास आग बुझाने के कोई इंतजाम हैं।
गौरतलब है कि मार्च से लेकर अप्रैल, मई और जून माह में क्षेत्र में आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इससे किसानों को नुकसान होता है। वहीं वन परिक्षेत्र के जंगलों में कुछ लोग अतिक्रमण करने की नियत से आग लगा कर जंगल को नष्ट करने का प्रयास भी करते हैं। इससे वर्षा के दिनों में वहां पर खेती की जमीन तैयार करते हैं। आग से वन संपदा को नुकसान होता है। लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए वन भूमि की साफ-सफाई कर उसको अपने कब्जे में कर लेते हैं।
तहसील क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर में जंगल फैला है। इसके बाद भी विभाग के पास आग बुझाने के लिए साधन नहीं है। इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी आते ही वन जंगलों में आग का खतरा मंडराने लगता है। जंगलों के आस-पास रहने वाले कुछ लोग पहले इसमें आग लगा देते हैं। फिर जमीन पर कब्जा कर खेती करते हैं। इससे जंगल अतिक्रमण के चलते सिकुड़ता जा रहा है। वनों की भी कटाई धड़ल्ले से जारी है। जहां पहले घने जंगल हुआ करते थे। वहां आज ठूंठ ही ठूंठ नजर आते हैं।
77 पंचायतों के बीच एक दमकल
तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 77 पंचायतों के गांवों के बीच नगर पंचायत के पास एक दमकल है। पूरे क्षेत्र में आग बुझाने के लिए इसे ही भेजा जाता है। जबकि वन विभाग के पास कोई साधन नहीं है। अगर क्षेत्र में कहीं भी बड़ी आगजनी की घटना होती है। तो फिर आसपास से फायर ब्रिगेड बुलाना पड़ती है। कई बार ये समय पर पहुंच नहीं पाती है और कई बार पहुंच तो जाती है। लेकिन कुछ न कुछ तकनीकी खराबी के कारण आग को बुझाने में असफल हो जाती है। लेकिन फिर भी आश्चर्यजनक बात यह है कि शहर में फायर ब्रिगेड की संख्या को नहीं बढ़ाया गया।
कई बार देखा गया है कि शहर में आंतरिक इलाकों में आगजनी की घटना होती है। तो बड़ी फायर बिग्रेड पहुंच नहीं पाती है। इस स्थिति में दुकान या घर या फिर अन्य जगह सामान पूरी तरह जलकर राख हो जाता है।
बाहर से बुलानी पड़ी थी फायर ब्रिगेड
बीते दिनों पेटलावद के ग्राम बावड़ी में 1 घर में अज्ञात कारणों के चलते आग लग गई थी। इस आग ने आसपास के 5 मकानों को अपने चपेट में ले लिया था। आग लगने के बाद गांव में हड़कंप सा मच गया था। हालांकि पेटलावद से फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची थी। लेकिन वो आग बुझाने में नाकाम साबित हुई। फायर ब्रिगेड में पानी खत्म हो जाने के बाद फिर झाबुआ और थांदला से फायर ब्रिगेड को बुलाना पड़ा। बाहर से फायर ब्रिगेड बुलाने का यह पहला मामला नहीं है। बल्कि हर बार इसी तरह से पेटलावद की एकमात्र फायर ब्रिगेड आग बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं रहती है। लेकिन फिर भी जिम्मेदारों द्वारा इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया और न ही पंचायतों में फायर ब्रिगेड लाने के कोई प्रयास किए गए।