Let’s travel together.

रोजाना करें सुबह इस कवच का पाठ पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

32

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्विन माह की अमावस्या तिथि तक पितरों की उपासना की जाती है। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा धरती पर आती है। इस लिए पितृपक्ष में पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पितरों के प्रसन्न होने से जातक जीवन में तरक्की करता है। पितरों के नाखुश होने पर व्यक्ति को जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है। इसलिए प्रतिदिन पितरों की पूजा करनी चाहिए। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पितृ दोष से राहत पाने के लिए दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों को जल का अर्घ्य दें। साथ ही पितृ कवच और स्त्रोत का पाठ करें।

पितृ कवच

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।

तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥

तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।

तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥

प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।

यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥

उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।

यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥

ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।

अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

पितृ स्तोत्र

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्।

नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।

सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्।।

मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।

तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।

द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।

देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।

अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।

प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।

योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।

स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे।।

सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।

नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्।।

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।

अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:।।

ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।

जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:।।

तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।

नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज।।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

रायसेन सहित चार अन्य गाँवों में आबकारी की दबिश,अवैध शराब बेचते दो आरोपी गिरफ्तार     |     कांग्रेस आईटी सेल के जिला अध्यक्ष बने आशीष यादव     |     धीमी गति से रोड पर कार्य होने से ग्रामीणों में रोष     |     पीएम श्री शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दीवानगंज में निशुल्क साइकिल वितरित की गई     |     आचार्य रजनीश (ओशो) का जन्म स्थली में मनाया गया 94 जन्म उत्सव. देश विदेश से आए अनुयायी     |     ऐतिहासिक ग्राम जामगढ़ में अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव,राज्यमंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल शामिल     |     मानवीय गरिमा का सर्वोच्च शिखर है गीता ,सांची विश्वविद्यालय में गीता जयंती पर विशेष व्याख्यान     |     रायसेन नगर मंडल चुनाव अधिकारी ने बूथ अध्यक्षों से लिया परामर्श     |     नपाध्यक्ष संदीप लोधी ने 87 लाख से अधिक के विभिन्न निर्माण कार्यों का किया भूमि पूजन     |     जीवन में सक्सेज चाहिए तो रोल मॉडल को फॉलो करना जरुरी: अखिलेश राय     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811