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लकड़ी बेचकर करती थीं गुजारा पद्मश्री के बाद भी नहीं मिला चित्रकार जोधइया बाई बैगा को आवास

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भोपाल। मैंने आदिवासी महिलाओं की तरह ही साधारण जिंदगी गुजारी है। लकड़ियां और गोबर बेचकर घर चलाने में पति की मदद करती थीं। पति मजदूर थे। जब चालीस की थी तब छह माह की बेटी पेट थी, इसी दाैरान पति चले बसे थे।इसके बाद जीना भी दूभर हो गया था। जैसे तैसे जीवन और परिवार को संवारा है। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैगा चित्रकारी की आइकान बन चुकीं 84 वर्षीय पद्श्री चित्रकार जोधइया बाई बैगा का। वे जनजातीय संग्रहालय के 10वें स्थापना दिवस पर आमंत्रित हुईं थी। उनके नाम यहां एक दीवार भी बनाई है जिनका जिर्णोधार किया गया। इस दौरान उन्होंने नवदुनिया से बातचीत में अपने अनभुव साझा किए। उन्होंने बताया कि पद्मश्री मिलने के बाद मैंने अब तक अपने गांव में 20 युवाओं को इस कला से रूबरू कराया है। और वो चित्रकारी भी कर रहे हैं।

भू-माफिया जा रहे जमीन पर कब्जा

जोधइया बाई को पद्मश्री मिलने के बाद आवास नहीं मिलने का मलाल है। वे बताती हैं कि पद्मश्री मिलने के दौरान मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति से आवास मांगा था। उन्होंने इसके लिए डेढ़ लाख रुपए भी मुहैया कराए थे लेकिन इतने कम रुपए में मकान बनना संभव नहीं हो पा रहा है।मेरे पास परिवार की खानदानी जमीन है जिसमें कई भूमाफिया अपना कब्जा जमाने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके चलते मुझे तनाव झेलना भी पड़ रहा है।

67 साल की उम्र में सीखी चित्रकारी

उन्होंने बताया कि पति के जाने के बाद मैं लड़कियां और गोबर बेचने लगे थी। तब मेरी उम्र 67 वर्ष थी। घर की जमीन पर गोबर से लिपाई और पुताई करती थी। उन दिनों दिवंगत कलाकार आशीष स्वामी जनगण तस्वीर खाना चलाते थे।उन्होंने मुझे देखा और कहा कि मेरे घर आकर काम करने लगो। तब मैं उनके घर में गोबर लिपकर उसमें सुंदर आकृतियां बनाती थी। फिर सब्जियों पर चित्रकारी की और बाद में लकड़ी पर अपनी कला को उभारा। बाद में जब कागज पर चित्रकारी करने को कहा तो हैंडमेड पेपर और कैनवास पर चित्रकारी करनी शुरू की।2022 में महिला दिवस के अवसर पर तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जोधइया बाई को नारी शक्ति सम्मान से भी सम्मानित किया था।

इटली में जोधइया बाई की चित्रों की प्रदर्शनी

जोधइया बाई की चित्रों की प्रदर्शनी केवल मध्य प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश के कई शहरों में लगी। वो पूरा देश का भ्रमण कर चुकी हैं। इनके चित्र पेरिस और मिलान देशों में भी प्रदर्शित हो चुके हैं। इटली, फ्रांस में आयोजित आर्ट गैलरी में उनके द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को दिखाया है। जापान, इंग्लैंड, अमेरिका सहित कई अन्य देशों में भी चित्र प्रदर्शित हो चुके हैं।जोधइया बाई द्वारा तैयार की गई चित्रकारी के विषय पुरानी भारतीय पंरपरा में देवलोक की परिकल्पना, भगवान शंकर तथा शेर पर आधारित चित्रकारी जिसमें पर्यावरण और वन्य जीव को लेकर चित्रकारी की जाती है। साथ ही बैगा जन जाति की संस्कृति पर अाधारित चित्रकारी देश-विदेश में खूब सराही जाती है। जोधइया बाई नई पीढी के लिए रोल माडल बन चुकी है। 84 साल की उम्र में भी वे पूरी मेहनत के साथ सहभागिता निभाती हैं।

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