– हरीश मिश्र की रिपोर्ट
विदिशा। प्रेम चंद बारोठिया प्रभारी उप आयुक्त सहकारिता, विदिशा ने विदिशा सहकारी विपणन समिति, विदिशा के प्रभारी प्रबंधक चंदन सिंह रघुवंशी के भ्रष्टाचार एवं फर्जी प्रभारी प्रबंधक नियुक्ति की जांच हेतु सुनील अग्रवाल, उप अंकेक्षक को जांच अधिकारी नियुक्त किया था।
जांच अधिकारी को बिन्दु वार जांच कर, जांच प्रतिवेदन प्रेषित करना सुनिश्चित करना था। जांच अधिकारी ने प्रभारी प्रबंधक, विदिशा सहकारी विपणन समिति, के विरुद्ध जांच में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं पाईं।
प्रभारी उप आयुक्त सहकारिता ने पहले अपने अधीनस्थ उप अंकेक्षक को जांच अधिकारी नियुक्त किया। फिर उस जांच के निष्कर्ष पर स्वहित में सवाल खड़े कर दिए कि शिकायत कर्ता ने जिन बिंदुओं की शिकायत की, जांच अधिकारी ने उन बिन्दुओं की विषय वस्तु से हटकर द्वेष पूर्ण भावना से, मनगढ़ंत तरीके से जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया ।
जांच में संभावित परिस्थितियों, तथ्यों के अनुसार न्यायोचित निर्णय लेने के लिए विवेक की असीमित शक्ति संवैधानिक रुप से जांच अधिकारी को प्रदत्त की गई है।
सवाल तो प्रभारी उप आयुक्त सहकारिता के अंतिम समीक्षात्मक निर्णय पर खड़े हो रहे हैं। उप आयुक्त सहकारिता जानते हैं कि प्रभारी प्रबंधक के पास शैक्षणिक योग्यता नहीं थी तो यह प्रमाण पर्याप्त है कि जिस पद पर नियुक्ति ही विधि विरुद्ध हो, उस पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा लिए गए आर्थिक निर्णय स्वत: अवैध हो जाते हैं।
यदि जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ता की शिकायत बिंदु से बाहर जाकर भ्रष्टाचार उजागर किया तो गलत क्या किया? क्या भ्रष्टाचार उजागर करना विधि विरुद्ध कृत्य है?
यदि इस जांच-जांच के खेल का परीक्षण किया जाए तो सच उजागर होता है कि प्रभारी प्रबंधक ने जांच के निष्कर्ष को लंबित रखने के लिए उप पंजीयक सहकारिता को साध लिया है। सहकारिता में यही होता है कि कोई भी प्रेमानंद प्रेम से वित्तीय अनियमितता करने वाले को चंदन का टीका लगा कर बेदाग साबित कर देता है।
13 लाख का गबन
संस्था प्रबंधक द्वारा वर्ष 2020-21 रबी उपार्जन गेहूं 38270.50 क्वि.किया गया था। जिसमें से नान को कुल एफ.ए.क्यु. मात्रा 37856.60 क्वि. गेहूं प्राप्त हुआ। शेष मात्रा 413.90 क्वि. सड़े हुए गेहूं का कोई रिकार्ड संस्था द्वारा प्रस्तुत न करने के कारण कटौत्रा राशि 510662+796757. 50 (सड़ा गेहूं) कुल राशि 1307419.50 समिति प्रबंधक चंदन सिंह रघुवंशी से ब्याज सहित जमा दिनांक तक वसूली योग्य है।
जांच निष्कर्ष
जिन्हें प्रभारी उप आयुक्त ने किया नज़र अंदाज़
– चंदनसिंह रघुवंशी को प्रबंधक पद की पात्रता न होते हुए भी संस्था में प्रभारी प्रबंधक बनाया गया था। जो विधि विरुद्ध था ।
– वर्ष 2020-21 में गेहूँ एवं धान उपार्जन खरीदी के दौरान एक्सीडेंटल व्यय राशि 5425235.20+55638.00 कुल राशि 597873.20 रूपये ब्याज सहित प्रभारी प्रबंधक से वसूली योग्य पाई गई थी ।
– प्रभारी प्रबंधक के विरूद्ध गुरारिया लश्करपुर थाना, कोतवाली, विदिशा में दिनांक 13.07.2022 को एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी। एफ.आई.आर. दर्ज होने के बाद भी प्रभारी प्रबंधक के विरूद्ध संस्था द्वारा कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की गई ।
– मध्यप्रदेश शासन की रबी उपार्जन नीति वर्ष 2020-21 की कंडिका 4.10 (11) ग के अनुसार प्रमाणित गंभीर अनियमितताएं प्रथम सूचना रिपोर्ट व कृषक भुगतान में विलम्ब न हो का उल्लंघन प्रभारी प्रबंधक के द्वारा किया गया था।
प्रभारी प्रबंधक ने भी स्वीकार किया है कि गुरारिया लश्करपुर थाना कोतवाली विदिशा में एफ आई आर रोजनामचा पृष्ठ 35 पर दिनांक 13. 07.2022 को दर्ज हुई थी। एफ आई आर प्रतिलिपि से यह प्रमाणित है। इतने लम्बे समय के बाद भी समिति प्रबंधक के विरूद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई है।
इनका कहना हे –
जांच प्रतिवेदन वरिष्ठ कार्यालय भेजा गया है। जो भी निर्देश आएंगे। उसे अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
-प्रेम चंद बारोठिया, प्रभारी उपयुक्त सहकारिता
बार-बार अनियमितताएं
कलेक्टर खाद्य शाखा , विदिशा के पत्र क. / वसूली/खाद्य/2020/3687 दिनांक 29.12.2020 के द्वारा राशि 2000/- रू. का प्रभारी प्रबंधक पर अधिरोपित किया गया था। जिसे प्रभारी प्रबंधक द्वारा जमा नहीं किया गया । जिससे यह स्पष्ट होता है कि जुर्माना/चेतावनी आदि की कार्यवाही के पश्चात भी प्रभारी प्रबंधक द्वारा अनियमितताएं की जाती रही थी।