मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
गेहूं और चने की फसल से निपटकर एक बार फिर से क्षेत्र के किसान खेती किसानी के काम में जुट गए हैं। इस समय किसान खेतों की हकाई-जुताई करने में लगे हैं। जो बारिश होने के बाद कई किसान सोयाबीन की बोवनी का कार्य करेंगे तो कई किसान धान रोपाई का कार्य करेंगे। किसान फसल निकालने के बाद अब खेतों को बखरने में जुट गए हैं। कृषि के जानकार लोगों का कहना है कि गर्मी के समय में खेतों की गहरी जुताई करने से रोगों व खरपतवारों से छुटकारा मिलता है साथ ही जमीन की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है। इस बारे में कृषक सुरेश साहू, रामनिवास मीणा ने बताया कि क्षेत्र के किसान गेहूं चने की फसल से निपट कर फिर से खेती के कार्य मे जुट गए हैं। उनका कहना है कि चैत वैशाख महीने में किसान अपने खेतों की गहरी जुताई कर रहे हैं। इससे खेतों की मृदा शक्ति बढ़ती है। गांव बरजोर पुर के किसान भैया लाल साहू कहना है कि खेतों की गहरी जुताई करने से रोगों व खरपतवार खत्म होने के साथ ही मिट्टी की पलटी हो जाती है जिससे फसल का उत्पादन तक बढ़ जाता है। दीवानगंज के दिनेश साहू ने बताया कि गर्मी के समय में खेतों की गहरी जुताई करने से उसमें सूर्य की सीधी किरणें पड़ने से मृदा का तापमान अधिक बढ़ जाता है। जिससे खेतों में लगने वाले कीड़े खत्म हो जाते हैं। साथ ही खेतों की उर्वरक क्षमता भी बढ़ जाती है। साथ ही गहरी जुताई वाली भूमि बारिश के पानी को सोखने की क्षमता भी होती है।
कई पुराने जानकार किसान कहते हैं कि किसानों को जमीन की गहरी जुताई करते समय ध्यान रखना चाहिए की पूरे खेत की जुताई एक समान हो कहीं जमीन बचना नहीं चाहिए। कई पर अनावश्यक रूप से किसी प्रकार के पौधे उगते तो उन्हें नष्ट कर देना चाहिए। किसानों को कम से कम तीन वर्षों में एक बार तो जरूर गहरी जुताई करना चाहिए। जिससे उत्पादन भी बढ़ता है इससे किसानों को आर्थिक मदद मिलती है