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भगवान शिव को क्यों प्रिय है रुद्राक्ष, जानिए इसका महत्व और इसका प्रकार

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8 मार्च को महाशिवरात्रि है, इस दिन लोग भगवान शिव की आराधना करते हैं. इस दिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के साथ भगवान शिव को प्रिय बेलपत्र, भांग पत्र, धतूरा, और बेल का फल भी अर्पित करते हैं. भगवान शिव को रुद्राक्ष भी अति प्रिय है, जिसको धारण करने से भक्तों पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. महार्षि वेद व्यास द्वारा रचित शिव पुराण के विद्योश्वर संहिता में पच्चीसवें अध्याय रुद्राक्ष महात्म्य में भगवान शिव के प्रतीक रुद्राक्ष के प्रकार और महत्व का पूरा वर्णन किया गया है.

रुद्राक्ष के प्रकार

एक मुखी रुद्राक्ष: माना जाता है कि एक मुखी रुद्राक्ष ध्यान करने और सफतला प्राप्त करने के लिए उत्तम रुद्राक्ष माना जाता है. इसके देवता भगवान शंकर, ग्रह- सूर्य और राशि- सिंह है.

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।

दो मुखी रुद्राक्ष: दो मुखी रुद्राण धारण करने को लेकर यह मान्यता है कि यह मन को शांति प्रदान करने के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ाता है. इसके देवता भगवान अर्धनारिश्वर कहा जाता है.

मंत्र- ।। ॐ नम: ।।

तीन मुखी रुद्राक्ष: शिव पुराण के अनुसार तीन मुख वाला रुद्राक्ष साधन सिद्ध करता है और विद्याओं में निपुण बनाता है. इसके देवता अग्नि देव को माना जाता है.

मंत्र- ।। ॐ क्लीं नम: ।।

चार मुखी रुद्राक्ष: शिव पुराण के अनुसार चार मुखी रुद्राक्ष का दर्शन और पूजन करने से नर- हत्या को दोष से मुक्ति मिलती है. यह धर्म, अर्थ, काम, माक्ष आदि चारों पुरुषार्थों का फल देता है. इसके देवता ब्रह्म देव माने जाते हैं.

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।

पंच मुखी रुद्राक्ष: पंच मुख रुद्राक्ष को धारण करने को लेकर यह मान्याता है कि इस रुद्राक्ष को धारण करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके देवता भगवान कालाग्नि रुद्र हैं.

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।

छह मुखी रुद्राक्ष: शिव पुराण के अनुसार छह मुखी रुद्राक्ष को सीधी बांह में बांधने से ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति मिलती है. इसके देवता कार्तिकेय को माना जाता है.

मंत्र : ।। ॐ ह्रीं हुं नम:।।

सप्तमुखी रुद्राक्ष: सप्तमुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है और जीवन में कभी भी धन का आभाव नहीं झेलना पड़ता है. क्योंकि इसके देवता माता महालक्ष्मी को माना जाता है.

मंत्र- ।। ॐ हुं नम:।।

अष्टमुखी रुद्राक्ष: अष्टमुखी रुद्राक्ष के बारे में शिव पुराण में यह बताया गया है कि इस धारण करने से व्यक्ति को लंबी आयु प्राप्त होती है. साथ ही यह भी माना जाता है कि व्यक्ति को मृत्यु के बाद शिव पद प्राप्त हो जाता है. अष्टमुखी रुद्राक्ष के देवता भैरव कहे जाते हैं.

मंत्र- ।। ॐ हुं नम:।।

नौ मुखी रुद्राक्ष: नौ मुखों वाला रुद्राक्ष भैरव तथा कपिल मुनि का स्वरुप माना जाता है और भगवती दुर्गा उसकी अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं. इसे बाएं हाथ में धारण करने से समस्त वैभवों की प्राप्ति होती है.

मंत्र- ।। ॐ हुं नम:।।

दस मुखी रुद्राक्ष: दस मुखी रुद्राक्ष को शिव पुराण में साक्षात भगवान विष्णु का रुप माना गया है. इसे धारण करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं हुं नम: ।।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष: शिव पुराण के अनुसार ग्यारह मुख वाला रुद्राक्ष रुद्ररुप है. इसे धारण करने से व्यक्ति सभी स्थानों पर विजय प्राप्त होती है.

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं हुं नम:।।

बारह मुखी रुद्राक्ष: माना जाता है कि बारह मुख वाले रुद्राक्ष को मस्तक पर धारण करने पर 11 सूर्यों के समान तेज प्राप्त होता है. इसके देवता हनुमान जी हैं.

मंत्र- ।। ॐ हुं नम:।।

तेरह मुखी रुद्राक्ष: शिव पुराण के अनुसार तेरह मुख वाला रुद्राक्ष विश्वदेवों का स्वरूप है. इसे धारण करने से सौभाग्य और मंगल का लाभ मिलता है.

मंत्र- ।। ॐ क्रौं क्षोरो नम:।।

चौदह मुखी रुद्राक्ष: चौदह मुख वाले रुद्राभ को साक्षात भगवान शिव का स्वरुप है. इसे श्राद्धापूर्वक मस्तक पर धारण करने से समस्त दुखों और कष्टों का नाश होता है.

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम:।।

रुद्राक्ष का महत्व

रुद्राक्ष के महत्व की बात करें तो मान्यता है कि जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष की माला धारण करता है, उसे देखकर भूत, प्रेत, पिशाच,दूर भाग जाते हैं. रुद्राक्षधारी व्यक्ति को देखकर स्वयं भगवान विष्णु, देवी दुर्गा, भगवान गणेश, सूर्य और अन्य देवता प्रसन्न हो जाते है. इसलिए धर्म की वृद्धि के लिए भक्तिपूर्वक मंत्रों द्वारा विधिवत रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.

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