उच्च शिक्षा विभाग की मनमानी,कटघरे में सरकार,क्या भारत का संविधान अतिथि विद्वानों पर नही होता लागू-महासंघ
-26 जनवरी,15 अगस्त,राम जी के प्राण प्रतिष्ठा का कट रहा मानदेय
डॉ.अनिल जैन भोपाल
सूबे के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों के विरुद्ध सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों की समस्या का समाधान होने ना नाम नहीं ले रहा है।हाल ही में एक बड़ा मामला सामने आया है की 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन एवं भगवान राम जी के पावन प्राणप्रतिष्ठा के दिन का भी अतिथि विद्वानों का मानदेय काटा जा रहा जिसको लेकर अतिथि विद्वानों ने शासन प्रशासन से गुहार लगाई है।अतिथि विद्वान महासंघ के सचिव डॉ दुर्गेश लशगरिया ने पत्र लिख कर मांग की है कि भारत का संविधान अतिथि विद्वानों पर भी लागू करे सरकार एवं भगवान राम जी के पावन प्राणप्रतिष्ठा का मानदेय भुगतान किया जाए।26 जनवरी गणतंत्र दिवस,15 अगस्त आदि के दिन अतिथि विद्वानों का मानदेय काटा जाता है जो की बेहद गंभीर मामला है।सरकार तत्काल आदेश जारी करे।जबकि सभी महाविद्यालयों में अतिथि विद्वानों ने ही आगे बढ़ कर 26 जनवरी,15 अगस्त का राष्ट्रहित में कार्य करते हैं और भगवान राम जी के प्राण प्रतिष्ठा अवसर पर पूरे प्रदेश में अतिथि विद्वानों ने खुशी मानकर सरकार छात्र छात्राओं युवाओं का उत्साह वर्धन किया था।क्या पता की उसी दिन अतिथि विद्वानों के भूखा रहना पड़ेगा उसी दिन का मानदेय काटा जाएगा।बड़ा मामला है।
– इनका कहना हे-
26 जनवरी,15 अगस्त को एक कैदी को भी लड्डू दिया जाता है लेकिन अतिथि विद्वानों का उस दिन का मानदेय काटा जाता है क्या भारत का संविधान अतिथि विद्वानों पर लागू नहीं होता??क्या भगवान राम जी के पावन प्राणप्रतिष्ठा का मानदेय काटा जाएगा??क्या राम ज़ी खुश होंगे।सरकार और शीर्ष अधिकारियों से विनती है कि अतिथि विद्वानों को अपना अंग मानते हुए अतिथि विद्वानों को तत्काल राष्ट्रीय,प्रादेशिक पावन अवसर का भुगतान करने का आदेश जारी करें।अगर फिक्स वेतन हो जाता है तो सब समस्या का समाधान हो जायेगा जो सरकार ने घोषणा की थी।
– डॉ आशीष पांडेय, मीडिया प्रभारी अतिथि विद्वान महासंघ