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पत्रकार के सिर पर पेशाब करने के मामले में गृह मंत्री मिश्रा इस्तीफा दें: विभा पटेल

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छतरपुर में इंसानयित को शर्मसार करने वाली घटना

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले का प्रत्यक्ष उदाहरण,सच की आवाज दबाने की कोशिश​ की गई

सरीन गोयल

भोपाल। मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान सरकार के राज में प्रदेश में सिर पर पेशाब करने की एक ओर घटना सामने आई है। ये इंसानयित को शर्मसार करने वाली है। इस बार ये कृत्य कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाने वाले थाना प्रभारी कमलेश साहू ने किया है। मामला बुंदेलखंड के छतरपुर जिले का है। यहां भ्रष्टाचार के खिलाफ खबरें प्रकाशित करने से नाराज थाना प्रभारी साहू ने पहले पत्रकार मिंटू दुबे को फर्जी मामले में फंसाया फिर थाने में बुलाकर हवालात में बंद कर दिया। इससे पता चलता है कि शिवराज सिंह चौहान सरकार के राज में अभिव्यक्ति का गला घोंटा जा रहा है। ये घटना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। लोकतंत्र के चौथे खंभे को अब निशाना बनाया गया है। ऐसी स्थिति में गृह मंत्री नरोत्तम मंत्री को अपने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। राज्यपाल को चाहिए उन्हें फौरन पद से बर्खास्त करें। मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस इस घटना की कठोरतम शब्दों में भर्त्सना करती है।
श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि ये घटना झंझोड़ने वाली है। सरकारी दावों की कलई खोलती है। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र प्रहरी के साथ ये अमानवीय व्यवहार हो रहा है तो आम आदमी के साथ वर्दी कैसा व्यवहार करती होगी। इसकी कल्पना की जा सकती है। पत्रकार के परिजनों का आरोप है कि मारपीट करने के साथ ही थाना प्रभारी कमलेश साहू ने पत्रकार मिंटू दुबे के सिर पर पेशाब करके उसे अपमानित किया। उसे जान से मारने की धमकी दी। उसके पूरे परिवार को विभिन्न धाराओं में फंसाकर जेल भेजने की भी बात कही। इस मामले की शिकायत पत्रकार की बहन सुनीता दुबे ने एसपी से की है लेकिन यह अत्यंत दुखद है कि एसपी ने अब तक ठोस कार्यवाही नहीं की है।
श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है, जो पत्रकार सरकार की खुशामद नही करते, उन्हें हर तरीके से प्रताड़ित करना सरकारी नीति बन गई है। बीते बीस वर्षों में पत्रकारों को सताए जाने की अनगिनत वारदातें हुईं हैं।
श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि सजा देने का अधिकार न्यायालय का है। मगर इस मामले में तो पुलिस ने वह सजा दे दी, जो अदालत भी कभी नहीं देती। यदि पत्रकार ने हत्या जैसा जघन्य अपराध भी किया होता तो, भी कोई अदालत हिरासत में रातभर पिटाई करने का आदेश नही देती और न ही वह किसी पुलिस अधिकारी को यह आदेश देती कि आरोपी के सिर पर पेशाब की जाए। पुलिस अफसर यहीं नहीं रुकता। वह पत्रकार को धमकी देता है कि अगर किसी को भी यह जानकारी दी गई तो उसकी जान नहीं बचेगी। इससे जाहिर है कि मध्य प्रदेश में सत्ता पक्ष नौकरशाही के दबाव में है। या उसे सरकारी संरक्षण मिला हुआ है। इस कारण उनके हौंसले बुलंद है।

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