आलेख
अरुण पटेल
पिछले कुछ वर्षों से देश के राजनीतिक पटल पर इस बात की चिन्ता होती रही है कि राजनीति में अपराधी तत्वों का घालमेल तेजी से हो रहा है, मनी और मशल पावर चुनाव में जीत का एक शार्टकट भी माना जाने लगा है, इसलिए आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति भी धड़ल्ले से जनप्रतिनिधि बन जाते हैं। ऐसे लोगों का फौरी उद्देश्य अपनी स्वार्थसिद्धि होता है। ऐसी स्थिति में राजनेताओं से नैतिकता की उम्मीद करना मृगतृष्णा से अधिक कुछ नहीं है।
देश भर में 4033 विधायकों में से 4001 के हलफनामों का विश्लेषण करने के बाद एडीआर यानी एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म की जो ताजा रिपोर्ट बीते सप्ताह सामने आई है उसमें यह तथ्य सामने आया है कि देश भर में 1777 विधायक दागी हैं और इनमें निर्दलियों से लेकर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। 44 प्रतिशत विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से 28 प्रतिशत पर गंभीर प्रकृति के आपराधिक मामले दर्ज हैं। देश में 88 अरबपति विधायक हैं जिनमें 34 कांग्रेस के और 24 भारतीय जनता पार्टी के हैं।
देश के सबसे अमीर तीन विधायकों में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार का नाम आता है जिनकी संपत्ति 1413.80 करोड़ है। दूसरे नम्बर पर कर्नाटक के ही के.एच. पुट्टास्वामी गौड़ा निर्दलीय विधायक हैं जिनकी सम्पत्ति 1267.03 करोड़ है। तीसरे पायदान पर कर्नाटक के ही कांग्रेस विधायक प्रियकृष्णा हैं जिनकी संपत्ति 1156.83 करोड़ है। टॉप टेन की सूची में जो 10 विधायक हैं उनमें तेलगूदेशम के अध्यक्ष और अविभाजित आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चन्द्रबाबू नायडू जिनकी संपत्ति 668 करोड़ रुपये है और वे चौथे पायदान पर हैं। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी 510 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ पांचवें नम्बर पर हैं। इस विश्लेषण में 28 राज्यों और 2 केंद्र शासित राज्यों के जनप्रतिनिधियों के हलफनामा दी गई जानकारी के अध्ययन से उक्त आंकड़े सामने आए हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार देश भर के 1777 विधायकों के खिलाफ जो आपराधिक मामले दर्ज हैं उनमें से 1136 के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। देश के सबसे अमीर विधायकों में 64.39 करोड़ कर्नाटक, 28.24 करोड़ आंध्रप्रदेश और 23.51 करोड़ महाराष्ट्र के विधायकों की औसत संपत्ति है। मध्यप्रदेश में विधायकों की औसत संपत्ति 10.74 करोड़, छत्तीसगढ़ में 10.34 करोड़ और राजस्थान में 7.49 करोड़ है। सबसे गरीब विधायकों में त्रिपुरा की 1.54 करोड़, पश्चिम बंगाल की 2.80 करोड़, केरल में 3.15 करोड़ औसत संपत्ति है। सबसे कम संपत्ति वाले गरीब विधायकों में पहले पायदान पर पश्चिम बंगाल के भाजपा विधायक निर्मल कुमार हैं जिनकी संपत्ति मात्र 1700 रुपये है। ओडीसा के निर्दलीय विधायक मकरंद मुदली की संपत्ति 15000 रुपये है तीसरे पायदान पर पंजाब के आम आदमी पार्टी के विधायक नरेंद्र पाल सिंह हैं जिनकी संपत्ति 18370 रुपये है।
जहां तक संपत्ति का सवाल है देश में प्रति विधायक औसत संपत्ति 13.63 करोड़ रुपये है। इसमें खास बात यह है कि दागी विधायकों की औसत संपत्ति 16.36 करोड़ रुपये से अधिक है। वहीं दूसरी ओर कम आपराधिक मामले वाले विधायकों की औसत संपत्ति 11.45 करोड़ रुपये है। इन विधायकों में से 88 विधायक यानी 2 प्रतिशत अरबपति हैं।
जहां तक शैक्षणिक योग्यता का सवाल है 6 विधायक अशिक्षित हैं, 49 शिक्षित हैं जबकि 53 विधायक पांचवीं पास हैं। आठवी पास विधायकों की संख्या 163 है जबकि दसवीं पास विधायकों की संख्या 433 और बारहवीं पास विधायकों की संख्या 660 है। स्नातक 991 विधायक हैं। स्नातक प्रोफेशनल्स की संख्या 640 और स्नातकोत्तर विधायक 804 हैं। जबकि 123 डॉक्टर और 78 डिप्लोमाधारक हैं। एक विधायक के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुल मिलाकर यदि देखा जाए तो अशिक्षित विधायकों की संख्या 6 और स्नातक विधायकों की संख्या 991 है। चुने हुए जनप्रतिनिधियों के यह आंकड़े जहां यह तो बताते हैं कि आपराधिक मामलों में कितने जनप्रतिनिधि लिप्त हैं लेकिन इन मामलों में देखने वाली बात यह भी होगी कि इनमें से कितने मामले जन-आंदोलनों के कारण व अपने दायित्वों के निर्वहन में कानून हाथ में लेने के हैं। कुल मिलाकर चिन्ता का विषय यह है कि क्या गंभीर प्रकृति के आपराधिक मामले जिन जनप्रतिनिधियों पर चल रहे हैं उनसे क्या यह अपेक्षा की जा सकती है कि वे स्वयं के कल्याण की जगह जन-कल्याण को प्राथमिकता देंगे।
-लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं
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