जबलपुर। हाई कोर्ट में एक याचिका के जरिए बहुचर्चित सीधी पेशाब कांड के आरोपित प्रवेश शुक्ला के एनएसए की कार्रवाई को चुनौती दी गई है। यह याचिका प्रवेश की पत्नी कंचन शुक्ला ने दायर की है। जिनका तर्क है कि इस प्रकरण को राजनीतिक तूल देते हुए उनके पति को एनएसए के तहत जेल भिजवाया गया है।
शासकीय अधिवक्ता को दी गई जिम्मेदारी
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए शासकीय अधिवक्ता को इस सिलसिले में राज्य शासन से निर्देश हासिल कर अवगत कराने की जिम्मेदारी सौंप दी है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह दी गई दलील
याचिकाकर्ता सीधी निवासी कंचन शुक्ला की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता का पति प्रवेश एक राजनीतिक दल का कार्यकर्ता था। एक वीडियो वायरल हुआ, जिसके जरिए आरोप लगाया कि प्रवेश ने आदिवासी व्यक्ति के ऊपर पेशाब कर अपमानित किया है। चूंकि याचिकाकर्ता का पति का सत्ताधारी दल से संबंधित कार्यकर्ता था, अत: विरोधी दलों ने इस मुद्दे को लेकर माहौल बनाना शुरू कर दिया। जिसका नजीता यह हुआ कि एनएसए जैसी कठोर कार्रवाई बिना किसी ठोस विधिक आधार के कर दी गई। याचिकाकर्ता के पति को कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। लिहाजा, एनएसए की कार्रवाई कानूनन अवैध है। यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद-21 के सर्वथा विरुद्ध है। हाई कोर्ट से अपेक्षा की गई कि हस्तक्षेप कर अनुचित कार्रवाई को निरस्त किया जाए।
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