जबलपुर। हाई कोर्ट ने विगत दिवस ग्वालियर में सीवर चैम्बर की सफाई के दौरान दो मजदूरों की मौत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने की व्यवस्था दी। इसी के साथ मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दे दिये। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
यह हुई थी घटना
दरअसल, सीवर चैम्बर साफ करने गए दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गए। बचाव के प्रयास के बावजूद मदद पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई। घटना 15 जून को ग्वालियर के हजीरा थाना क्षेत्र के वार्ड नं 16 के रेशम मील में घटी थी। जहां निगम के कर्मचारी सीवर की सफाई करने उतरे थे। यहां आधुनिक मशीनों के दौर में भी कर्मचारियों से सफाई करवाया जा रहा है। जिस कारण कर्मचारियों को जान गवानी पड़ी। मृतक कर्मचारियों के परिवार ने ठेकेदार और नगर निगम के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया था।
सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक
इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं। गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि ऐसे कार्यकर्ता समाज के निचले तबके से आते हैं। गरिमा और सम्मान से जीना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित कानून सीवेज, नाली, सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए उतरने से पहले सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक है। इस घटना ने सीवर सिस्टम जैसे खतरनाक वातावरण वाले कार्यस्थलों में कड़े सुरक्षा प्रोटोकाल और उपायों के लिए नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता रेखांकित की है। नियोक्ताओं से उनकी सुरक्षा प्रक्रियाओं की समीक्षा करने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि श्रमिकों को संभावित खतरों से बचाया जा सके।
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