सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की रिपोर्ट।
फाल्गुन मास के पावन अवसर पर बटेश्वर महादेव मंदिर, कागदीपुरा में प्रारंभ हुई श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन कथा के पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई। जो श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर नदवाना से होकर कथा स्थल वटेश्वर महादेव मंदिर पहुंची। जिसमें अनेक माताएं अपने सिर पर कलश धारण करके चल रही थी। और मुख्य यजमान पुराण धारण करके चल रहे थे। जिसमें नगर के अनेक गणमान्य लोग सम्मिलित थे। कथा में प्रथम दिन गौवत्स पंडित अंकितकृष्ण तेनगुरिया वटुकजी महाराज ने कहा कि जिसका तन घूमता है, मन स्थिर रहता है, वही संत है। श्रीमद्भागवत जीव को जन्म, मृत्यु और कर्म की परिभाषा को समझाता है। वटुकजी महाराज ने श्रीमद्भागवत के महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भक्ति के बिना मनुष्य वैसा ही है जैसे बिना जल की मछली है।
श्रीमद् भागवत वैष्णू भक्ति का उद्गम ग्रंथ है परम वैष्णव ऋषि श्रेष्ठ परिव्राजक शुकदेव भगवान ने कथा गंगा की शीतल बारी धारा से संपूर्ण मानवता को अभी सिंचित करते हुए वैश्विक संस्कृति के रूप में प्रतिष्ठित किया है। भागवत का मूल मंत्र है प्रेम और सेवा। प्रेम किया नहीं जाता,वह हो जाता है और समर्पण प्रेम का स्वभाव है प्रेम की शर्त नहीं। प्रेम सेवा से आनंदित होता है, प्रेम की अनुभूति से वाणी धन्य हो जाती है। क्योंकि यही तो माध्यम है प्रेमास्पद के निरंतर ध्यान और सानिध्य का समर्पण कब हो जाता है। पता ही नहीं चलता। श्रीमद् भागवत 11 मार्च से प्रारंभ होकर 17 मार्च पर्यंत चलेगी। जिसमें आयोजन समिति बटेश्वर महादेव भागवत सेवा संस्थान ने सभी धर्मानुरागी बंधुओं से अधिक से अधिक संख्या में कथा में उपस्थित होकर धर्म लाभ लेने की अपील की है। कथा का समय दोपहर 2 से 5 बजे तक रहेगा।