धर्मांतरण की खबरों पर दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश:ऐसी खबरों को ब्लॉक किया जाए, कहा – यह आरोपी के जीवन के लिए खतरा बन जाता है
कृष्ण कांत सोनी
नई दिल्ली।याचिकाकर्ता ने प्रिंट और सोशल मीडिया पर पब्लिश खबरों को हटाने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका डाली थी।याचिकाकर्ता ने प्रिंट और सोशल मीडिया पर पब्लिश खबरों को हटाने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका डाली थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ट्विटर और गूगल समेत कुछ मीडिया हाउस को ऐसी खबरें और वीडियो लिंक को ब्लॉक करने का निर्देश दिया है। जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा एक महिला को जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा है।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने यह आदेश पारित करते हुए कहा कि- यह एक गंभीर खतरा है, क्योंकि लोग सोशल मीडिया पर ऐसी खबरों पर तरह-तरह के कमेंट करते हैं। इसी के साथ कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY), प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), समाचार प्रसारण और डिजिटल मानक प्राधिकरण (NBDSA) और गूगल, टि्वटर को नोटिस जारी किया। इसके अलावा कोर्ट ने कुछ न्यूज चैनल्स को भी नोटिस भेजा है।
समझिए आखिर किस मामले पर कोर्ट ने ये निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह निर्देश याचिकाकर्ता अजमत अली खान की केस की सुनवाई करते हुए दिया है। अजमत के खिलाफ 19 अप्रैल को दिल्ली निवासी एक महिला ने जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया था। पुलिस में शिकायत के बाद अजमत के खिलाफ एक FIR भी दर्ज हुई। इन सब मामलों से जुड़ी खबर और वीडियो प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया पर पब्लिश हुए, जिन्हें हटाने की मांग करते हुए अजमत ने कोर्ट में याचिका डाली थी।
कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए क्या-क्या कहा…
धर्मांतरण की खबरें एक गंभीर खतरा है, क्योंकि लोग सोशल मीडिया पर ऐसी खबरों पर तरह-तरह के कमेंट करते हैं। जिनसे विवाद पैदा हो सकता है।
यह याचिकाकर्ता की सुरक्षा का सवाल है। यदि (चैनल) इसे ब्लॉक नहीं करते हैं, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इसे ब्लॉक कर दें। मेरे निर्देश स्पष्ट हैं। इसे सभी को ब्लॉक करना होगा।
अगली सुनवाई की तारीख से पहले बाहरी जनता के देखने के लिए लिंक तुरंत ब्लॉक हो जाने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो आदेश की अवेहलना करने पर कार्रवाई की जाएगी।
अब पढ़िए याचिकाकर्ता ने क्या-क्या दलीलें दीं थी…
याचिकाकर्ता का कहना है कि, ऐसी खबरें उनके जीवन, प्रतिष्ठा और सुरक्षा को गंभीर रूप से खतरे में डाल रही हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि FIR उस महिला द्वारा दर्ज की गई है जिसके साथ वह पिछले आठ सालों से रिलेशनशिप में था।
धर्मांतरण के जो आरोप लगाए गए हैं वो झूठे हैं और वर्तमान में संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा आरोपों की जांच की जा रही है।