रायसेन। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने रायसेन कलेक्टर अरविंद दुबे को सम्मन जारी किया है।
जारी सम्मन में आयोग ने कहा है कि जबकि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भारत सरकार द्वारा बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 3 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में गठित किया गया है ।जिसका मुख्य काम बाल अधिकारों के संरक्षण और बाल अधिकारों से वंचित करने से संबंधित अन्य मामलों में और
जबकि सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13(1)(जे) के तहत आयोग के कार्यों में से एक शिकायतों की जांच करना और बाल अधिकारों के अभाव और उल्लंघन, प्रदान करने वाले कानूनों के गैर-कार्यान्वयन से संबंधित मामलों का स्वत: संज्ञान लेना है। बच्चों के संरक्षण और विकास और प्रासंगिक नीतिगत निर्णयों, दिशानिर्देशों या निर्देशों का पालन न करने के लिए।
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आयोग ने सम्मन में कहा है कि अध्यक्ष, एनसीपीसीआर ने 12.11.2022 को रायसेन, मध्य प्रदेश में एक बाल गृह का दौरा किया, जिसमें आधिकारिक दौरे के दौरान यह ध्यान में लाया गया कि 3 बच्चे जो जन्म से हिंदू थे, वर्ष में अपने जैविक माता-पिता से अलग हो गए थे। आगे यह भी संज्ञान में लाया गया कि बाल गृह/प्रबंधन/देखभाल करने वालों द्वारा उक्त नाबालिग बच्चों की पहचान बदल दी गई थी और उनके आधार कार्ड को नए सिरे से मुस्लिम नामों से बना दिया गया था।
जबकि आयोग नेएफ.सं.32-371/एनसीपीसीआर/विविध/एलसी/दिनांक 29.11.2022 के माध्यम से डीएम, रायसेन, मध्य प्रदेश को 07 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट के लिए नोटिस जारी किया था। तथापि, उक्त मामले में आज तक कोई प्रतिक्रिया/जवाब प्राप्त नहीं हुई है।
जबकि CPCR अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत, आयोग के पास सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 और विशेष रूप से निम्नलिखित मामलों के संबंध में एक सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ हैं।