रामभरोस विश्वकर्मा मंडीदीप रायसेन
सत्संग से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। संत किसी देश या वेश में हो उनके सत्संग का लाभ लेना चाहिए। सत्संग से ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह बात मुनि निर्णय सागर महाराज ने पटेल नगर स्थित श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में कही। उन्होंने कहा कि जहर से जीवन का नाश व अमृत से जीवन अमर कैसे बनता है इसका ज्ञान हुए बगैर जहर का त्याग कैसे करेंगे। उन्होंने कहा कि कई लोग सवाल पूछते हैं कि उम्र हो गई सत्संग सुनते हुए लेकिन जीवन में परिवर्तन नहीं आया। इस पर मुनि ने कहा कि दवाई का सेवन किए बगैर रोग दूर नहीं होता उसी प्रकार सत्संग में सुनी बातों का आचरण करने से ही परिवर्तन आएगा। मुनि ने कहा कि हाथी घंटों पानी में रह कर स्नान करता है लेकिन बाहर आते ही सूंड से अपने ऊपर मिट्टी बिखेर लेता है। उसका नहाना बेकार है। इसी प्रकार सत्संग के सुने हुए का आचरण नहीं करने से सुनना न सुनना बराबर है। उन्होंने कहा कि आज मनष्य सुनता मन भर है लेकिन आचरण कण भर भी नहीं करता। इसलिए वर्षों सत्संग सुनने का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लोग धर्म शास्त्रों की पूजा करते हैं लेकिन उनसे प्रेरणा नहीं लेते। एक शब्द या वाक्य का जीवन में आचरण करेंगे तो घर, समाज व देश का कायाकल्प निश्चित है। मुनि श्री की आहार चर्या का सौभाग्य राजेश जैैन परिवार, तथा छुल्लक विश्वरक्ष सागर की आहार चर्या विनोेद जैन आरएनजी परिवार व छुल्लक सुवीर सागर की आहार चर्या ऋषभ जैैन परिवार को प्राप्त हुआ।