भोपाल। प्रदेश में कोरोना संक्रमण एक बार फिर पांव पसार रहा है। वर्तमान में जिस वैरिएंट से लोग संक्रमित हो रहे हैं, वह एक्सबीबी 1.16 है। देश में मार्च में ही इस वैरिएंट की पहचान की गई थी। हालांकि इसके अधिकतर मामले गंभीर नहीं होते, इसलिए लोगों को घबराने की नहीं, लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल द्वारा मार्च से अब तक की गई 90 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान सामने आई है। इन सभी में एक जैसा वैरिएंट एक्सबीबी 1.16 मिला।
प्रदेश में 15 अप्रैल तक 266 सक्रिय कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं। वहीं राजधानी में संक्रमितों की संख्या अभी तक 93 है। ऐसे में लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए लगातार कोरोना प्रोटोकाल का पालन करने की बात कही जा रही है। एम्स भोपाल के माइक्रोबायोलाजी विभाग के चिकित्सक डा. देवाशीष विश्वास ने बताया कि कोविड मामलों में वृद्धि एक्सबीबी 1.16 प्रकार के कारण हो सकती है। कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन करने से संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है। यह वैरिएंट लोगों को मामूली तरह से ही संक्रमित कर रहा है। इससे लोगों की प्रतिरोधक क्षमताएं भी बढ़ेगी। डा. विश्वास ने बताया कि अभी देश में यही वैरिएंट एक्टिव है। हालांकि अन्य वैरिएंट की पहचान करने पर लगातार काम कर रहे हैं।
क्या होती है जीनोम सीक्वेंसिंग
जिस तरह इंसान का शरीर डीएनए से मिलकर बनता है, वैसे ही वायरस भी डीएनए या फिर आरएनए से बनता है। कोरोना वायरस आरएनए से मिलकर बनता है। जीनोम सीक्वेंसिंग वह तकनीक है, जिससे आरएनए की जेनेटिक जानकारी मिलती है। इसके जरिये ये पता लगाया जाता है कि वायरस किस तरह का दिखता है, कैसे हमला करता है और कैसे बढ़ता है। साधारण शब्दों में समझें तो जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए वायरस का पूरा बायोडाटा आपके सामने आ जाता है और ये पता चल पाता है कि लोग वायरस के किस वैरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.