Let’s travel together.
nagar parisad bareli

जजों के रिटायरमेंट के बाद सरकारी पद लेने पर पूर्व सीजेआई ने कहा, यह जज का व्यक्तिगत फैसला 

16

नई दिल्ली । भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित शनिवार को एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान जजों के रिटायरमेंट के बाद सरकारी पद लेने पर ललित ने कहा कि यह जज का व्यक्तिगत फैसला है कि उस सरकारी पद का लाभ लेना चाहिए या नहीं। अगर किसी को इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगता है, तब वह इसतरह के प्रस्तावों को स्वीकार कर सकता है, लेकिन मेरे जैसे लोग जिन्हें इस पर आपत्ति है, वे अपने जीवन में कुछ और कर सकते हैं। मैं वकील रह चुका हूं, मैं एक जज रहा और अब मैं एक प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहा हूं।
पूर्व सीजेआई ने पत्रकार कप्पन जैसे केस में बेल न मिलने और मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपियों को निचली आदलत से बेल मिलने के सवाल पर कहा कि बेल देने का फैसला जजों के विवेक पर निर्भर करता है। किसी भी केस में सभी की अपनी राय हो सकती है। उन्होंने कहा कि कई केसों में जज इसलिए बेल देने का इंतजार करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता हो कि केस में अभी जांच पूरी होनी बाकी, मामले में कुछ और तथ्य सामने आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने कप्पन, तीस्ता सीतलवाड़ और विनोद दुआ सभी को बेल दी, इसलिए किसी एक मामले को आधार बनाकर आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए। इस दौरान ललित ने कहा कि कोर्ट पर किसी केस को लेकर कोई दबाव नहीं होता है, सभी स्वतंत्र तरीके से काम कर रही हैं।
पूर्व सीजेआई ने बताया कि सीजेआई बनते ही पहले दिन उन्होंने फुल दे मीटिंग की और पेंडिंग केसों को जल्द से जल्द निपटाने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने कई बेंच भी बनाईं। वहीं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की स्थिति को लेकर कहा कि यह एक फैंटास्टिक कोर्ट है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अब भी कोर्ट कई क्षेत्र में काफी कुछ करना बाकी है। वहीं मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संशोधन की जरूरत पर पूर्व सीजेआई ने कहा कि यह न्यायपालिका नहीं बल्कि विधायिका का क्षेत्र है। अगर विधायिका को लगेगा की इस एक्ट में संशोधन करने की जरूरत है, तब वह करेगी। ललित ने एनजेएसी (राष्ट्रीय न्यायिक आयोग विधेयक, 2022) को लेकर कहा कि कॉलेजियम सिस्टम एक आइडियल सिस्टम है। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट कॉलेजियम के हर एक रिकमंडेशन जरूरी नहीं कि स्वीकार ही किए जाएं। उन्होंने समझाया कि जब कॉलेजियम किसी को जज चुनता है, तब यह देखा जाता है कि उसने कैसे फैसले लिए, उसका लंबे समय तक कैसा प्रदर्शन रहा है और इसके बाद 5 जज यह तय करते हैं कि वह व्यक्ति जज बनने के लिए उपयुक्त है या नहीं। इतना ही नहीं किसी का नाम तय करने से पहले कॉलेजियम कंसल्टी जजों की भी राय लेता है। इसके अलावा कॉलेजियम उसकी प्रोफाइल भी देखता है कि पहले भी उसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं हुई या क्या उस शख्स की जिंदगी का कोई ब्लैक पार्ट तो नहीं रहा, क्योंकि यह जरूरी नहीं कि कॉलेजियम के जजों को उसकी पूरी जानकारी हो, इसके बाद कॉलेजियम आईबी रिपोर्ट पर भी विचार करता है।
उन्होंने अपने सबसे कठिन केस के बारे में बताया कि 2-जी के मेरे लिए काफी उलझाऊ रहा था क्योंकि उसमें पेपर वर्क बहुत था। इस केस में लाखों पेज थे, जिन्हें पढ़ना था, समझना था। इसके अलावा उस केस में 150 से ज्यादा गवाह थे, जिनसे पूछताछ की गई थी, इसलिए डॉक्युमेंटेशन का काम बहुत था।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

तलवार सहित माइकल मसीह नामक आरोपी गिरफ्तार     |     किराना दुकान की दीवार तोड़कर ढाई लाख का सामान ले उड़े चोर     |     गला रेतकर युवक की हत्या, ग़ैरतगंज सिलवानी मार्ग पर भंवरगढ़ तिराहे की घटना     |     गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंज उठा नगर     |     नूरगंज पुलिस की बड़ी करवाई,10 मोटरसाइकिल सहित 13 जुआरियों को किया गिरफ्तार     |     सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर एसडीओपी शीला सुराणा ने संभाला मोर्चा     |     सरसी आइलैंड रिजॉर्ट (ब्यौहारी) में सुविधाओं को विस्तारित किया जाए- उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल     |     8 सितम्बर को ‘‘ब्रह्मरत्न’’ सम्मान पर विशेष राजेन्द्र शुक्ल: विंध्य के कायांतरण के पटकथाकार-डॉ. चन्द्रिका प्रसाद चंन्द्र     |     कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के छात्र कृषि विज्ञान केंद्र पर रहकर सीखेंगे खेती किसानी के गुण     |     अवैध रूप से शराब बिक्री करने वाला आरोपी कुणाल गिरफ्तार     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811