वाशिंगटन । भारतीय मूल के अमेरिकी एवं भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा है कि दुनिया में आज चुनौतियों की कमी नहीं है और वह वैश्विक मंच पर नेतृत्व करने की अमेरिका की क्षमता को लेकर आशान्वित हैं। वर्मा (54) ने प्रबंधन एवं संसाधन के लिए अमेरिका के उप विदेश मंत्री पद पर अपनी नियुक्ति की पुष्टि संबंधी सुनवाई के दौरान सीनेट की विदेश मामलों की समिति के सदस्यों के समक्ष बृहस्पतिवार को यह कहा। यदि इस पद के लिए वर्मा के नाम की पुष्टि हो जाती है, तो वह विदेश मंत्रालय में सबसे ऊंचे ओहदे वाले भारतीय अमेरिकी होंगे। प्रबंधन एवं संसाधन के लिए अमेरिका के उप विदेश मंत्री को विदेश मंत्रालय के ‘चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर’ के रूप में भी जाना जाता है। वर्मा ने कहा कि दुनिया के सामने आज चुनौतियों की कमी नहीं है। यूक्रेन में युद्ध से लेकर महाशक्ति बनने को लेकर नए सिरे से प्रतियोगिता और अंतरराष्ट्रीय खतरों के बदलते स्वरूपों तक कई चुनौतियां हैं। इनसे कोई भी आसानी से हतोत्साहित हो सकता है, लेकिन उम्मीद की एक किरण है। मैं वैश्विक मंच पर नेतृत्व करने की अमेरिका की क्षमता को लेकर वास्तव में बहुत आशावान हूं। वर्मा ने सांसदों से कहा कि वह करदाताओं के डॉलर का लगातार प्रबंधन और निगरानी करेंगे।
रिचर्ड वर्मा का ये रहा अतीत
सीनेटर बेन कार्डिन ने वर्मा का परिचय कराते हुए समिति से कहा कि रिचर्ड के पिता प्रोफेसर कमल वर्मा, जो हमारे साथ आज यहां हैं, वह एक अमेरिकी प्रवासी की सफलता का सटीक उदाहरण हैं। वह 1963 में 14 डॉलर और बस का एक टिकट लेकर अमेरिका आए थे। उनके पास और कुछ नहीं था। परिवार नहीं था। किसी की मदद नहीं थी। इसके बावजूद वह जॉनस्टाउन स्थित पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बने, जहां उन्होंने अंग्रेजी और दक्षिण एशियाई साहित्य के विद्वान के रूप में 43 वर्षों तक पढ़ाया। उन्होंने रिचर्ड को इस पद के लिए योग्य बताते हुए कहा कि रिचर्ड अमेरिकी एयर फोर्स में सेवाएं दे चुके हैं, उन्होंने सीनेटर हैरी रीड के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कई साल सीनेट में काम किया, वह पूर्व सहायक विदेश मंत्री हैं, अमेरिका में भारत के राजदूत रह चुके हैं और अब अमेरिका की प्रतिष्ठित कंपनी मास्टरकार्ड कार्डिन के जनरल कांउसलर हैं।
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