अमरावती| आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के महासचिव नारा लोकेश की पदयात्रा के दौरान उस समय तनाव हो गया, जब एक पुलिस अधिकारी ने सड़कों पर जनसभाओं पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए उनसे माइक छीनने की कोशिश की। घटना एनआर पेटा में एनटीआर चौराहे पर उस समय हुई, जब लोकेश पदयात्रा में शामिल लोगों को संबोधित कर रहे थे। पुलिस ने उन्हें यह कहते हुए रुकने के लिए कहा कि सड़कों पर सभाओं की अनुमति नहीं है। उन्होंने सड़कों पर जनसभाओं को प्रतिबंधित करने वाले पिछले महीने जारी सरकारी आदेश (जीओ) नंबर एक का हवाला दिया।
तेदेपा नेता ने फिर भी अपना भाषण जारी रखा, तब एक पुलिस अधिकारी ने उनके हाथ से माइक छीनने की कोशिश की। इसके बाद तेदेपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस अधिकारी के साथ धक्का-मुक्की की, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि पुलिस जगह-जगह पदयात्रा में अड़ंगा लगा रही है।
तेदेपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के बेटे लोकेश ने 13वें दिन पदयात्रा ‘युवा गालम’ जारी रखी।
चित्तूर विधानसभा क्षेत्र के कृष्णापुरम में स्थानीय किसानों ने लोकेश से मुलाकात की और उन्हें बताया कि चंद्रबाबू नायडू को पसंद करते हैं, क्योंकि वह एक किसान परिवार से आते हैं, उन्हें कृषक समुदाय की समस्याओं के बारे में पूरी जानकारी है।
यह याद करते हुए कि चंद्रबाबू नायडू, मुख्यमंत्री के रूप में, तत्कालीन कृषि मंत्री सोमीरेड्डी चंद्रमोहन रेड्डी के साथ बार-बार समीक्षा बैठकें किया करते थे, उन्होंने कहा, “चंद्रबाबू नायडू ने बड़े पैमाने पर कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया, लेकिन अब किसानों से कई वादे करके सत्ता में आए मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने एक भी वादा पूरा नहीं किया।”
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री मोटर पंप सेटों पर मीटर लगाकर किसानों को परेशान कर रहे हैं, जिससे कृषि क्षेत्र अब गहरे संकट में है।
लोकेश ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू के शासन के दौरान सरकार द्वारा प्रताड़ित किए जाने के कारण किसानों ने कभी आत्महत्या नहीं की। लेकिन आंध्र प्रदेश अब किसानों की आत्महत्या में देश में तीसरे स्थान पर है।
उन्होंने किसानों से कहा, “मैं आप सभी को आश्वस्त कर रहा हूं कि जब भी दोबारा तेदेपा की सरकार बनेगी, आपकी सभी समस्याओं का समाधान युद्ध स्तर पर किया जाएगा।”
लोकेश ने कहा कि कोल्ड स्टोरेज प्लांट स्थापित किए जाएंगे और फसल बीमा को पुनर्जीवित किया जाएगा और अब वापस ली गई अन्नदाता सुखीभावा योजना को भी फिर से शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “अब मूल समस्या यह है कि न तो मुख्यमंत्री और न ही कृषि मंत्री को कृषि के बारे में कोई जानकारी है।”
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