नई दिल्ली । एअर इंडिया की उड़ानों में असभ्यता की हालिया दो घटनाओं ने विमानन नियमों का अनुपालन कराने में एयरलाइनों की विफलता को उजागर किया है। पेशाब करने और मारपीट करने की जो घटनाएं हाल में सामने आईं हैं वे दर्शाती हैं कि असभ्य यात्रियों से सख्ती से निपटने की जरूरत है। नागर विमानन महानिदेशालय ने हालांकि विमानन कंपनियों को चेतावनी जारी कर दी है लेकिन उसे निगरानी बनाए रखनी होगी क्योंकि अक्सर एयरलाइनें सुर्खियों में आने से बचने के लिए मामले को दबाने का प्रयास करती हैं। इसके साथ ही अब समय आ गया है जब इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या विमान-यात्रा के दौरान शराब अथवा अन्य एल्कोहोलिक पदार्थ यात्रियों को परोसे जाने चाहिए या नहीं? दूसरी ओर यह अच्छी बात है कि टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया के सीईओ कैम्पबेल विल्सन ने इस घटना के लिए माफी मांगते हुए कहा है कि चालक दल के 4 सदस्यों तथा एक पायलट को जांच पूरी होने तक ड्यूटी से हटा दिया गया है तथा एय़रलाइन विमान में शराब परोसने की अपनी नीति की समीक्षा कर रही है।
विल्सन को चाहिए कि समीक्षा के बाद एअरलाइन जो फैसला करे उसे सार्वजनिक भी किया जाए ताकि अन्य एअरलाइनें भी उससे प्रेरणा ले सकें। उधर नागर विमानन महानिदेशालय की बात करें तो उसकी ओर से जारी किए गए परामर्श में कहा गया है कि एयरलाइन के परिचालन प्रमुखों को सलाह दी जाती है कि वे डीजीसीए को सूचना के तहत उपयुक्त माध्यमों से असभ्य यात्रियों से निपटने के विषय को लेकर पायलट केबिन क्रू और अपनी संबंधित एयरलाइंस की उड़ान सेवाओं के निदेशक को संवेदनशील बनाएं। नियामक ने कहा है कि लागू नियमों का अनुपालन नहीं किए जाने के मामले से सख्ती से निपटा जाएगा और इन पर अमल कराने के लिए कार्रवाई की जाएगी। डीजीसीए के अनुसार विमानन कंपनी किसी भी गलत व्यवहार वाली घटना की सूचना डीजीसीए को देने के लिए बाध्य है। हालांकि हाल की दोनों घटनाओं संबंधी जरूरी जानकारी विमानन सुरक्षा नियामक को नहीं दी गई।
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