रामलीला देखने के लिए रामलीला मैदान में जुटी दर्शकों की भीड़
भगवान श्रीराम ने पेड़ की आड़ में छुपकर बाली को मारा बाण, हुआ धराशाई
रामलीला में हनुमान जी की आकर्षक भूमिका देखकर दर्शकों के खड़े हुए रोंगटे
सी एल गौर रायसेन
रामलीला महोत्सव के चलते बुधवार को रामलीला मैदान में स्थानीय कलाकारों द्वारा राम सुग्रीव मित्रता एवं बाली वध प्रसंग की आकर्षक लीला का मैदानी मंचन किया जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक और शहर के व्यापारी वर्ग के लोग भी लीला देखने के लिए पहुंचे । प्रस्तुत की गई लीला के अनुसार तुलसीकृत रामायण के किस्किंधा कांड के अनुसार कलाकारों ने रामलीला में अपना अभिनय निभाया जिसके तहत वन गमन के
दौरान भगवान राम शबरी के आश्रम पर पहुंचते हैं और वहां जाकर देखते हैं कि शबरी ने किस तरह से अपनी कुटिया सजाई है की राम मेरे घर आ रहे हैं मीठे मीठे बेर तोड़ कर लाती है और चख कर देखती है कि यह वेर भगवान के लिए ठीक रहेंगे और भगवान राम लक्ष्मण शबरी के झूठे बेर बड़े प्रेम से खा रहे हैं। यहां पर भगवान राम ने नौ भक्तियो के बारे में सबरी को बताते हैं, इसके पश्चात शबरी भगवान राम को अपने बीच पाकर धन्य हो जाती है और भगवान राम से कहती है कि थोड़ी दूर पर ऋषि मुख पर्वत है वहां किस्किनधा के राजा सुग्रीव रहते हैं जो आप के भक्त हैं जहां से आपको सीता का पता चल जाएगा, शबरी के मीठे वचन सुनकर भगवान राम लक्ष्मण ऋषि मुख पर्वत की ओर चल देते हैं जब पर्वत के पास भगवान राम लक्ष्मण को सुग्रीव आते देखते हैं
तो कहते हैं कि हनुमान आप जाकर देखो वनवासी के रूप में में कौन घूम रहे हैं। इस प्रकार से हनुमान जी भगवान राम लक्ष्मण के पास पहुंचते हैं पहले पहचानने से इनकार करते हैं परंतु जब भगवान उन्हें पूरा परिचय देते हैं तो हनुमंत लाल जी खुश हो जाते हैं और यहीं से प्रभु राम और लक्ष्मण के साथ हो जाते हैं आगे चलकर भगवान राम लक्ष्मण की किस किस्किनधा के राजा सुग्रीव से भेंट होती है यहां पर सुग्रीव अपना सारा हाल-चाल बताते हुए कहते हैं कि मेरा भाई बाली बड़ा बलशाली है उसने मेरी पत्नी को भी अपने घर पर रखा है, हे भगवान आप मेरी मदद कीजिए। इस दौरान भगवान राम को सुग्रीव माता सीता का पता बताते हैं और आकाश मार्ग से रावण जब सीता को ले जा रहा था उस समय के गिरे हुए वस्त्र और आभूषण भी बताते है, यहां बड़ी विचित्र लीला है देखिए भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण से पूछते हैं कि ये बस्त्र, कुंडल, आभूषण सीता के हैं लक्ष्मण पहचानो अपने भाई राम से लक्ष्मण कहते हैं कि हे भैया मैं आभूषण नहीं पहचानता हूं मैं तो आपका सेवक हूं माता सीता के पैरों के अलावा मैंने कुछ भी नहीं देखा है, मैं कैसे बता सकता हूं परंतु सुग्रीव का कहना भगवान राम मानते हैं और उन्हें विश्वास हो जाता है कि सीता लंका में अशोक वाटिका में है । इस मौके पर सुग्रीव अपने भाई बाली के बारे में बताता है तो भगवान राम सुग्रीव को बाली से युद्ध करने के लिए भेजते हैं, इस दौरान बाली सुग्रीव को पराजित कर देता है इसके पश्चात दौड़े-दौड़े फिर भगवान राम के पास पहुंचते हैं जिस पर भगवान राम कहते हैं कि तुम दोनों भाई की शक्ल एक जैसी है मैं पहचान नहीं पाया जाओ सुग्रीव माला तुम्हारे गले में पहनाता हूं जिससे तुम्हारी सुग्रीव के बारे में पहचान होगी और मैं बाली को मार दूंगा। सुग्रीव भगवान राम के वचन सुनकर और अपने भाई से लड़ने के लिए चल देते हैं और बाली को जाकर ललकारते हैं कि कायर वाली अपने घर से बाहर निकल मैं तुझे बताता हूं । इधर तारा बाली को समझाती है कि हे नाथ आप कहां जा रहे हैं जाने का शुभ समय नहीं है परंतु बाली नहीं मानता और सुग्रीव से लड़ने के लिए चल देता है काफी देर तक बाली और सुग्रीव दोनों भाइयों के बीच घनघोर युद्ध होता है वहीं थोड़ी दूर प्रभु श्री राम एक पेड़ की आड़ में छुपकर वाली को वान मार देते है जिससे बाली धराशाई हो जाता है। रामलीला मंचन के दौरान हनुमान की भूमिका अनिल शर्मा, पंडित बद्री पाराशर ने सुग्रीव की और अशोक मांझी, तथा प्रदीप शर्मा ने अंगद की और पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा ने सबरी की भूमिका निभाई । इस दौरान कलाकारों का अभिनय देखकर दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए और जय जय सियाराम के जय कारो से रामलीला मैदान गूंज उठा। इस प्रकार राम सुग्रीव मित्रता एवं बाली वध की आकर्षक लीला का मंचन किया गया।
रामलीला में गुरुवार को होगी लंका दहन की आकर्षक लीला
रामलीला में गुरुवार को स्थानीय कलाकारों द्वारा लंका दहन के आकर्षक प्रसंग की लीला का मैदानी मंचन किया जाएगा। श्री रामलीला मेला समिति के पदाधिकारियों ने सभी धर्म प्रेमियों से रामलीला मैदान पहुंचकर धर्म का लाभ उठाने की अपील की है।