देवेश पाण्डेय सिलवानी रायसेन
दूसरे दिवस की कथा के उद्गार इस प्रकार है।सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आरंभ हुआ। भागवत कथा के प्रथम दिन
श्री श्री 1008 श्री ब्रह्मचारी जी महाराज बापौली वाले मांगरोल धाम पधारे श्री गुरुदेव ने कहा कि जन्म-जन्मांतर एवं युग-युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है तब ऐसा अनुष्ठान होता है। भागवत कथा सुनने से मिट जाते जीवन के सारे पाप भागवत कथा सुनने से मिट जाते हैं। श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानवजाति तक पहुंचाता रहा है। भागवतपुराण उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है,
जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है। इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान किया। कहा कि कई हजार वर्ष सबसे पहले सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत कथा गंगा तट पर सुनाई थी। उन्हें सात दिनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है।
कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे एवं कथा का रसपान किया।कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे एवं कथा का रसपान किया।