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जीवन में धर्म के बिना मोक्ष का कोई अन्य मार्ग नहीं : मुनिश्री

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धर्म के कार्यों में लगाया धन स्वच्छ और निर्मल होना चाहिए. मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज

श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान का हुआ समापन, निकाली गई श्रीजी की रथ यात्रा

रंजीत गुप्ता शिवपुरी

जब मनुष्य जन्म लिया है तो इसके जीने के तौर-तरीके भी आना चाहिए लेकिन देखने में आ रहा है कि व्यक्ति स्वयं के कार्यों को ना देखे हुए आडंबरों की दुनिया में जी रहा है यह धर्म नहीं है, धर्म को जानना है तो जिनवाणी को श्रवण करें, उसे जानें और सिद्धों के बताए मार्ग पर चलें, निश्चित ही जीवन में यदि मोक्ष का कोई साधन है तो वह है धर्म ज्ञान, इसलिए अपने जीवन को सार्थक बनाने और मोक्ष के लिए धर्म के बिना अन्य कोई मार्ग नहीं मिलेगा, इसलिए सिद्धचक्र महामण्डल विधान के साथ जहां विश्वशांति महायज्ञ है जो प्रत्येक प्राणी को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। सिद्धों के इस विधान पर आर्शीवचन दिए मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने जो स्थानीय श्री दिगम्बर जैन मंदिर पर आयोजित श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के दौरान उपस्थित श्रावकों को मंगल प्रवचन दे रहे थे। इस अवसर पर चार्तुमास कर रहे मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज भी विराजमान रहे जिन्होंने अपनी वाणी में मनुष्य उसके जीवन का फल कर्मांे पर आधारित बताया, उन्होंने कहा जब अच्छे कर्म होंगें तब निश्चित रूप से जीवन में भी सबकुछ अच्छा होगा, ध्यान रखें कि कभी भी बुरे मन या कर्म से अर्जित राशि को धर्म के कार्यों में ना लगाऐं, यदि धर्म करते हुए धन लगाना है तो स्वच्छ और निर्मल मन के साथ अपनी मेहनत से कमाए हुए फल के रूप में लगाए। श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान का आज हवन के साथ श्रीजी की रथ यात्रा के साथ समापन हुआ। विधान में प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र.श्रीप्रदीप शास्त्री (पीयूष) जबलपुर के द्वारा विधि-विधान के साथ यह पूजन और हवन कार्य कराया गया। विधान के महायज्ञ नायक श्रीमती कपूरीबाई-कन्हैया लाल जैन, यज्ञ नायक श्रीमती संपत देवी-जय कुमार जैन, श्रीमती सपना-ऋषभ कुमार जैन, श्रीमती कल्पना-अतुलकुमार, श्रीमती सविता-प्रदीप कुमार लाभार्थी परिवार थे, जिनके द्वारा समस्ज जैन समाज के लिए सिद्धों को प्राप्त करने वाला सिद्धचक्र महामण्डल विधान 01 नवम्बर से 09 नवम्बर तक मंदिर परिसर में किया गया।
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शहर के मुख्य मार्गों से निकली श्रीजी की रथ यात्रा

आज सिद्धचक्र महामंडल विधान के अंतिम दिन हवन के बाद श्रीजी की रथ यात्रा निकाली गई, रथ यात्रा श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर से प्रारंभ होकर मां राजराजेश्वरी रोड, अस्पताल चौराहा, भगवान महावीर स्वामी मार्ग, माधव चौक चौराहा, हनुमान पुल होती हुई वापस छत्री जैन मंदिर पर पहुंची, जहां पर श्रीजी की पूजन आराधना की गई, इस दौरान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज एवम मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज भी उपस्थित रहे जिनके पावन सानिध्य में श्री 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान का आयोजन पूर्ण हुआ।

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