-100 ग्रामों का चयन कर योजना किया जा रहा है योजना का क्रियान्वयन
सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की रिपोर्ट
एंकर सांची विकासखंड के ग्राम पंचायत सेमरा में एक दिवसीय शून्य बजट प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र रायसेन से आए कृषि उपसंचालक एनपी सुमन कृषि विज्ञान केंद्र नकतरा से कृषि वैज्ञानिक डॉ स्वप्निल दुबे कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ प्रदीप त्रिवेदी आत्मा परियोजना सांची से सुरेश परमार उपस्थित रहे।उपसंचालक सुमन ने कहा कि वर्तमान स्थिति में प्राकृतिक खेती किसानों के लिए लाभदायक है। इसमें लागत में कमी व गुणवत्तायुक्त पैदावार प्राप्त होती है। जिसका बाजार में अच्छा मूल्य मिलता है। सरकार के द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जिले में आत्मा गवर्निंग बोर्ड के माध्यम से 100 ग्रामों का चयन कर योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। डा. दुबे ने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती देशी गाय के गोबर व गोमूत्र पर आधारित है।
इस पद्धति में महंगे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, खरपतवार नाशक व फफूंदनाशक की आवश्यकता नहीं होती। जिससे कृषि लागत में कमी आती है। देश में प्राकृतिक खेती की शुरूआत आंध्र प्रदेश से हुई। इसके बाद कर्नाटक, हिमाचल व वर्तमान में मध्यप्रदेश की जा रही है। नोडल अधिकारी मोरी ने प्राकृतिक खेती की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। प्राकृतिक खेती के मुख्य स्तंभ जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत, आच्छादन, व्हापसा हैं। जिसमें जीवामृत का फसलों में छिड़काव, बीजामृत का बीजोपचार, मृदा व भूंसे से आच्छादन, व नमी की पूर्ती कर फसलों का अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। देशी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ तक सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। जबकि विदेशी गाय के गोबर में केवल 78 लाख सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं। प्राकृतिक खेती में हल्की जुताई, व्हापसा, फसलों की बुवाई उत्तर-दक्षिण दिशा, सहयोगी फसलें, देशी केंचुओं का उपयोग। आच्छादन व देशी बीज का उपयोग कर अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। प्रशिक्षण के दौरान वीडियो फिल्म के माध्यम गोबर, गोमूत्र, गुड़ व बेसन का उपयोग कर जीवामृत बनाकर तकनीकी मार्गदर्शन दिया गया।