-कुछ समय पूर्व रिप्टा बनाया, पर वह भी घटिया निर्माण के चलते हुआ छतिग्रस्त
सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की रिपोर्ट
सरकार द्वारा गांव गांव में स्कूल और सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। ताकि ग्रामीण इलाकों को सड़क से जोड़कर उनका विकास किया जा सके। और गांवों में स्कूल बनाकर वहां के बच्चों को शिक्षित किया जा सके। जिससे वह देश का भविष्य बन सकें। मगर सांची विकासखंड के ग्राम पंचायत सरार में कुछ और ही मामला देखने को मिला है। यहां पर स्कूल पढ़ने वाले बच्चों और आंगनबाड़ी जाने वाले बच्चों को स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डालकर नाला पार करना पड़ता है। वहीं इस नाले को क्रॉस करने के लिए दो रास्ते तो हैं लेकिन एक पर तो पंचायत द्वारा रिप्टा बना दिया गया था। मगर वह भी इतना घटिया निर्माण किया गया कि चंद दिनों में ही टूट गया और यहां से निकलने के लिए सिर्फ एक सकरा रास्ता ही बचा है। जिससे निकलने में अनहोनी का डर हमेशा सताता रहता है। और नाले को क्रॉस करने वाला दूसरा रास्ता तो है लेकिन उस पर कोई भी पुल पुलिया नहीं बनी है। इसी लिए स्कूल के बच्चे एवं ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन और बारिश के समय इस को पार करते हैं। अब ऐसे में पंचायत द्वारा कोई भी प्रयास नहीं किए जा रहे ताकि स्कूल के पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल जाने के लिए रास्ता मिल सके। पंचायतों में लाखों रुपए का आवंटन होता है। इसके बावजूद भी गांव के विकास के लिए पंचायत कोई कार्य करने पर ध्यान नहीं देती हैं। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है। इस मामले में भी ग्राम पंचायत सरार सिर्फ मूकदर्शक बने तमाशा देख रही है। और बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं। ग्राम पंचायत सचिव सहित ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसकी वजह से स्थानीय ग्रामीणों ने अब आंदोलन का मन बना लिया है।
इनका कहना है-
टूटी हुई पुलिया से निकलते समय डर लगता है। कई बार हम स्कूल जाते समय गिर कर घायल भी हो चुके हैं। और तो और बारिश के मौसम में तो हम लोग स्कूल बड़ी ही मुश्किल से जा पाते हैं। क्योंकि नाले पर ज़्यादा पानी आ जाता है।
आर्यन मीणा, छात्र कक्षा 8
मुझे स्कूल जाने के लिए प्रतिदिन खतरों का सामना करते हुए टूटी हुई पुलिया के ऊपर से बहते हुए पानी में से निकलना पड़ता है। कई बार स्थानीय लोगों ने शिकायत की है। लेकिन ज़िम्मेदार अधिकारी ध्यान नही दे रहे हैं।
आकाश, छात्र कक्षा 7