– कृषकों को दी कृषि तकनीकी की आवश्यक सलाह
शिवपुरी से रंजीत गुप्ता
शिवपुरी जिले की प्रमुख रबी फसलों सरसों, चना, मसूर, गेहूं एवं प्याज इत्यादि के लिए सामयिक कृषि परामर्श के रूप में कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक सस्य विज्ञान डॉ.एम.के.भार्गव द्वारा कृषकों को कृषि तकनीकी की आवश्यक सलाह दी गई है। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र ने बताया कि सरसों फसल में कहीं-कहीं माहू कीट की प्राथमिक अवस्थाएं पौधों की टहनियों में गुच्छों के रूप में दिखाई दे सकती हैं। ऐसी टहनियों को तोड़कर एक बोरे में एकत्रित करके मिट्टी में दाब दें या जलाकर नष्ट करें।
चना फसल में समन्वित कीट नियंत्रण जरूरी-
आवश्यकता होने पर रस चूसक कीटनाशकों में डायमिथोएट 30 ई.सी. 2 मि.ली. या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत 0.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी के मान से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। चना फसल में समन्वित कीट नियंत्रण के लिए अंग्रेजी के टी अक्षर आकार की 02 से 02.30 फुट ऊँची लकड़ी से तैयार की खूंटियां 08 से 10 प्रति बीघा में लगाएं तथा 01 से 02 फेरोमेन ट्रेप भी प्रति बीघा में लगाना चाहिए जिससे कीटों की शुरूआत अवस्था में ही नियंत्रण बना रहे। चना एवं मसूर फसल में पीलापन दिखाई देने पर जलविलेय एनपीके उर्वरकों का छिड़काव 01 किलोग्राम प्रति एकड़ के मान से 150 से 180 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं।
शाकनाशी का छिड़काव नहीं करें-
इसी प्रकार गेहूं फसल में बुबाई के 40 दिन उपरांत शाकनाशी का छिड़काव नहीं करें। शेष नत्रजन की पूर्ति के लिए नत्रजन के विभिन्न स्त्रोतों से भुरकाव या छिड़काव के माध्यम से पूर्ति करें। धान, टमाटर, अजवाइन एवं अरहर से खाली हुए खेतों में प्याज की रोपाई करें तथा रोपण से पूर्व मुख्य खेत में पोटाश की पूर्ति 10 से 12 किलोग्राम प्रति बीघा के मान से अवश्य करें। फसलों में पाले से बचाने हेतु खेतों की मेढ़ों पर धुआं करें। गंधक का अम्ल 01 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी के वैज्ञानिकों से परामर्श लिया जा सकता है।